जगदलपुर। विधानसभा चुनाव में अभी करीब डेढ़ साल का वक्त बचा है पर बस्तर में भाजपा व कांग्रेस दोनों चुनावी मोड में आ चुके हैं। इधर दोनों दलों के मंत्रियों और नेताओं के बस्तर दौरे के बीच बीजापुर में कांग्रेस पार्टी के भीतर घमासान शुरू हो गया है। बीजापुर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, पार्टी के प्रदेश सचिव व युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह को पार्टी ने छह साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया है। उनके समर्थन में भैरमगढ़ नगर पंचायत के उपाध्यक्ष जोगेंद्र देवांगन व उनकी पत्नी लता देवांगन ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
अजय सिंह ने कुछ दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस लेकर बीजापुर के कांग्रेस विधायक विक्रम शाह मंडावी पर खुलेआम भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने जिले में पार्टी की बिगड़ती स्थिति को लेकर भी टिप्पणी की थी। जब यह मामला पीसीसी चीफ मोहन मरकाम तक पहुंचा तो उन्होंने प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला को अजय सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा। चंद्रशेखर शुक्ला ने गत 27 अप्रैल को अजय सिंह को नोटिस देकर निर्वाचित जनप्रतिनिधि के खिलाफ बयानबाजी पर एक सप्ताह में जवाब मांगा था।
सोमवार दो मई को पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के निर्देश पर संगठन महामंत्री अमरजीत चावला ने अजय सिंह को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का आदेश दिया। इस आदेश से बिफरे अजय सिंह ने मंगलवार को एक बार फिर प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने कहा कि मैंने विधायक के खिलाफ टिप्पणी की थी, पार्टी के खिलाफ कुछ नहीं कहा था। अजय सिंह ने बताया कि नोटिस का जवाब उन्होंने कोंडागांव जाकर मोहन मरकाम को दे दिया था। चार पन्नो के जवाब में उन्होंने क्या लिखा था यह नहीं बताया पर कहा कि मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं। अजय सिंह ने कहा कि इस मामले में उनकी प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से बात हुई है। उन्होंने विस्तार से सारी बातें पूछी हैं।
मेरी रगों में कांग्रेस का खून
अजय सिंह ने कहा कि मेरी रगों में कांग्रेस का खून दौड़ रहा है। कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि मैं भाजपा में चला जाऊंगा पर यह गलत बात है। मैं कांग्रेस का सच्चा सिपाही हूं और पार्टी के लिए काम करता रहूंगा। मैं किसी भी पार्टी में नहीं जाऊंगा। अजय ने कहा कि जब सलवा जुड़ूम चल रहा था तो पार्टी ने विक्रम मंडावी से ब्लाक अध्यक्ष बनने को कहा था लेकिन उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया कि उन्हें नक्सलियों से खतरा हो सकता है। विक्रम ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक राजेंद्र पामभोई के खिलाफ काम किया। 2008-09 में मंंडी चुनाव हुए तो पार्टी प्रत्याशी लालू राठौर के खिलाफ काम किया। अब विधायक बने हैं तो कार्यकर्ताओं को हाशिए पर रख रहे हैं। उनका मानना है कि वे खुद चुनाव जीत जाएंगे, कार्यकर्ताओं की जरूरत नहीं है। उन्हें यह कहते हुए भी सुना गया है कि पार्टी ने टिकट न दिया तो वे निर्दलीय जीत जाएंगे।
फल लगा तो खाने गैर कांग्रेसी आ गए
अजय सिंह ने कहा कि वे 2005-06 में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस का झंडा लेकर खड़े थे। भाजपा पर हमला करने की वजह से प्रशासन ने उनका मकान भी तोड़ डाला। अजय ने कहा कि जिले के कार्यकर्ता ही नहीं विधायक की कार्यशैली से आला नेता भी नाखुश हैं। अब तक तो उनके खिलाफ सिर्फ अजय सिंह ने ही आवाज बुलंद की है। कई नेता पीठ पीछे बोलते हैं पर सामने कोई नहीं आता है। हमने 15 साल तक संघर्ष किया। कांग्रेस के पौधे को बड़ा किया। अब जब फल लगे हैं तो उसे खाने को गैर कांग्रेसी आ गए हैं। कांग्रेसियों को कुछ नहीं मिल रहा है।