जांजगीर-चांपा। राज्य शासन द्वारा शासकीय सेवा में ग्रीन कार्डधारियों को मिलने वाली सुविधाओं को समाप्त कर दिया है। इसके चलते अब ग्रीन कार्डधारियों का कार्ड कोई काम का नहीं है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा तीन माह पहले ग्रीन कार्ड योजना को समाप्त करने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किया है। यह आदेश सभी कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ को जारी किया गया है।
अविभाजित मध्यप्रदेश में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 1985 से ग्रीन कार्ड योजना लागू की गई थी। यह योजना पृथक छग राज्य बनने के बाद भी विधियों के अनुकूलन के तहत यथा स्थिति लागू हुई। इस योजना के तहत ग्रीन कार्डधारियों को शासकीय सेवा में नियुक्ति के लिए आयु सीमा में दो वर्ष छूट देने का प्रावधान था। इसके अलावा शासकीय सेवा में नियुक्ति के लिए साक्षात्कार के समय पांच प्रतिशत अंक देने की सुविधा भी थी। बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए यहा योजना कारगर भी थी। इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने नसबंदी कराई और ग्रीन कार्ड योजना का लाभ लिया। नया राज्य बनने के बाद यह योजना साढ़े तेरह साल तक संचालित रही मगर 30 जुलाई 2014 को राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा इसे समाप्त कर दिया गया। इस आदेश के बाद छग शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने ग्रीन कार्ड योजना के तहत सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं को समाप्त कर दिया गया है। राज्य शासन सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव एम आर ठाकुर द्वारा जारी परिपत्र सभी कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ को भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि अभाविजित मध्यप्रदेश के समय से लागू ग्रीन कार्ड योजना इस राज्य में समाप्त हो जाने से ग्रीन कार्डधारियों को दी जाने वाली सुविधाओं से संबंधित सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्रों को निरस्त किया जाता है। ।एक ओर नसबंदी से महिलाओं की मौत के चलते नसबंदी कराने लोग ऐसे ही परहेज कर रहे हैं। दूसरी ओर शासन ने ग्रीन कार्ड योजना भी समाप्त कर दिया। ऐसे में अब नसबंदी की ओर लोगों का ध्यान कम ही जाएगा। हालांकि शासन ने सरकारी नौकरी के लिए 26 जनवरी 2001 के बाद 2 से अधिक जीवित संतान होने पर संबंधित व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं देने संबंधी प्रावधान बनाया है। इससे सरकारी कर्मचारी मजबूरीवश नसबंदी कराने या परिवार नियोजन के साधन अपनाने बाध्य हैं मगर जनप्रतिनिधि व आमजनों के लिए इस तरह की कोई बंदिश नहीं है। ऐसे में समाज के बहुसंख्यक वर्ग को नसबंदी के लिए प्रोत्साहित करने शासन के पास कोई योजना नहीं है। इससे नसबंदी कराने स्व प्रेरणा से लोग आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में सरकार का जनसंख्या स्थिरीकरण कार्यक्रम के सपᆬल होने में संदेह है, वहीं जिन लोगों ने ग्रीन कार्ड योजना का लाभ पाने के उद्देश्य से नसबंदी कराई है। उन्हें इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में उनके ग्रीन कार्ड बेकार हो गए।
उच्च न्यायालय ने दी थी राहत
राज्य सरकार द्वारा ग्रीन कार्ड योजना को लागू तो किया गया था मगर इसके क्रियान्वयन में शुरू से ही कोताही बरती जा रही थी इसके चलते नया राज्य बनने के बाद से यहां नसबंदी कराने वालों को ग्रीन कार्ड जारी नहीं किया जा रहा था। हालांकि शासकीय सेवा में नियुक्ति के लिए उम्र में दो वर्ष की छूट व साक्षात्कार में 5 प्रतिशत अंक प्रदान किए जाते थे। यह सुविधा सभी विभागों में नहीं मिल रही थी। ग्रीन कार्ड नहीं बनने से पात्र लोग योजना के लाभ से वंचित हो रहे थे। ऐसे में एक जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय बिलासपुर ने अस्पताल के नसबंदी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर ग्रीन कार्ड योजना का लाभ देने का आदेश जारी किया था। इससे नसबंदी कराने वालों को योजना का लाभ मिलने लगा था मगर शासन द्वारा योजना समाप्त करने से अब ग्रीन कार्डधारियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।
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