जांजगीर-चांपा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ती में पदस्थ सुरेश मिश्रा का अपहरण करने एवं उसके स्कार्पियो वाहन को लूट कर हत्या करने वाले आरोपित को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश डा. ममता भोजवानी ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अभियोजन के अनुसार 23 मई 2016 को थाना सरिया जिला रायगढ़ में कुबेर चंद्र केसरवानी ने सूचना दी कि वह शाम को अपनी बाइक से चंद्रपुर गया था। वहां से लौटते समय विश्वासपुर मोड़ के पास चंद्रपुर की ओर से एक सफेद स्कार्पियो आई और मोड़ के पास वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। स्कार्पियो का चालक घायल हो गया और वाहन के अंदर ही उसकी मौत हो गई। इस सूचना पर पुलिस ने भादवि की धारा 279,337,304 ए के तहत अपराध दर्ज किया और जांच शुरू की। इसी बीच 25 जनवरी 2017 को थाना बाराद्वार के एक अन्य अपराध के आरोपित आलोक जायसवाल के बयान के आधार पर थाना सक्ती में भादवि की धारा 364,302,201,120 बी 397 404,34 के तहत अपराध दर्ज किया गया। आरोपित आलोक जायसवाल को अभिरक्षा में लेकर उससे पूछताछ कर उसका बयान लिया गया। इसी प्रकार मीनू उर्फ सत्यनारायण को भी अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई। जिस पर उसने बताया कि मीनू उर्फ सत्यनारायण, आलोक जायसवाल एवं संतोष सोनवानी के साथ मिलकर 23 मई 2016 को सक्ती वन विभाग कार्यालय के सामने से सुरेश मिश्रा के स्कार्पियो वाहन को बुकिंग करने के नाम से लूटकर खरसिया पलगड़ा पहाड़ के पास ले जाकर लघुशंका के बहाने वाहन रुकवाया और सतीश सोनवानी ने सुरेश मिश्रा के सिर पर पत्थर से मारकर उसकी हत्या कर दी तथा लाश को वाहन के बीच सीट में रखकर ठिकाने लगाने के लिए सरिया बरमकेला की तरफ ले जाते समय स्कार्पियो वाहन पलट जाने से सुरेश मिश्रा के शव एवं गाड़ी को छोड़कर पुरार हो गए। जिस पत्थर से मारे थे उसे पलगडा घाट में फेंक दिए थे। मृतक के मोबाइल को एक ट्रक चालक के पास 400 रूपए में बेच दिए थे। मीनू उर्फ सत्यनारायण वापस अपने घर आकर अपने जींस पैंट को धोया था उसके शर्ट पर खून लगा हुआ था जिसे वह कुर्दा पहाड़ में मिट्टी तेल डालकर जला दिया। आरोपितों को गिरफ्तार कर अभियोग पत्र प्रथम अपर सत्र न्यायालय सक्ती के समक्ष पेश किया गया। दो आरोपित नाबालिक होने के कारण उनका प्रकरण बाल न्यायालय में है। वहीं आरोपित मीनू उर्फ सत्यनारायण एवं उनके अधिवक्ता का कहना था कि घटना एक रोड एक्सीडेंट का मामला है वह निर्दोष है तथा उसे झूठा फंसाया गया है बचाव में उसकी ओर से कोई गवाही पेश नहीं किया गया।
अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 27 गवाहों का बयान न्यायालय में कराया गया है। केस में मृतक की पत्नी गीता मिश्रा ने आरोपित को मृतक सुरेश मिश्रा को अपने साथ ले जाते हुए देखा था। इन परिस्थितियों के आधार पर मीनू उर्फ सत्यनारायण के कथन में बताए तथ्यों से उजागर हुआ कि गवाह गीता मिश्रा द्वारा मीनू उर्फ सत्यनारायण अपने अन्य साथियों के साथ सुरेश मिश्रा को वाहन के साथ किराए पर लेने के बहाने लेकर गए थे। न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश डा.ममता भोजवानी ने आरोपित ग्राम सेंदरी थाना बाराद्वार निवासी मीनू उर्फ सत्यनारायण को भादवि की धारा 120 बी के लिए आजीवन कारावास एवं 5 हजार रूपए अर्थदंड, धारा 302,34 के लिए आजीवन कारावास एवं 5 हजार रूपए अर्थदंड, धारा 364,34 में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 3 हजार रूपए अर्थदंड,धारा 397,34 के लिए 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं 3 हजार रूपए अर्थदंड,धारा 201,34 के लिए 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं 2 हजार रूपए अर्थदंड तथा धारा 404, 34 के लिए 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं 2 हजार रूपए अर्थदंड से दंडित किया है। सभी सजाएं साथ साथ चलेगी। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक ऋषिकेश चौबे ने पैरवी की।