जांजगीर-चांपा( नईदुनिया न्यूज)। नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की...हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की भजन से सोमवार को श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ मंडप गूंजने लगा, जब भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया। भगवान कृष्ण के भजन से श्रद्घालु झूमने लगे। पुष्प की वर्षा की गई। भगवान कृष्ण की झांकी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्घालु उमड़े। यज्ञ मंडप गोकुल बन गया था और कथा सुनने पहुंचे श्रद्घालु गोकुल वासी थे। श्रद्घालुओं ने भगवान बाल कृष्ण की पूजा की और आशीर्वाद लिया।
व्यासनगर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया। जगद्युरू स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि जब भगवान कृष्ण के जन्म का समय आया, तब आकाश में सभी देवी-देवता भगवान की स्तुति करने लगे। कंस के पहरेदार सो गए। महाराज वासुदेव की सभी बेड़ियां खुल गईं। जेल के दरवाजे खुल गए और महाराज वासुदेव ने एक टोकरी में भगवान कृष्ण को रखा और उस टोकरी को सिर पर रखकर नंद बाबा के घर की ओर चले। घनघोर अंधेरी रात थी। यमुना नदी में काफी तेज बहाव था। महाराज वासुदेव ने टोकरी को पूरा ऊपर उठा दिया, जिससे बाल कृष्ण तक पानी न पहुंचे। भगवान शेषनाग ने अपने फन को फैलाकर छतरी बना दी। इस तरह महाराज वासुदेव नंद बाबा के घर पहुंचे। वहां बाल कृष्ण को यशोदा मैया के पास रखा और लौट आए। अच्युत स्वामी ने कहा कि भगवान के जन्म के साथ ही जिस तरह बेड़ियां खुल गईं और सारे बंधन टूट गए, उसी तरह भगवान की भक्ति से सारे भव बंधन खत्म हो जाते हैं।
जो भगवान के सम्मुख उनसे पाप हो जाए तो प्रायश्चित सम्भव
जगद्युरू स्वामी अच्युत प्रपन्नाचार्य महाराज ने शुकदेव मुनि और महाराज परीक्षित का संवाद सुनाते हुए कहा कि जो भगवान के सम्मुख हैं, उनसे पाप हो जाए तो प्रायश्चित संभव है, लेकिन जो भगवान से विमुख हैं, उन्हें प्रायश्चित का लाभ नहीं मिलता। गंगा मैया को भी वैतरणी पार कराने वाली माना गया है। दो बूंद गंगा जल पी लें तो पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई कहे कि गिलास में आधी शराब और आधा गंगाजल डाल लें तो भी मुक्ति मिलेगी। अंतिम समय भगवान के भजन से मुक्ति मिलती है। इसलिए यह परंपरा है कि कोई मरणासन्न हो तो गीता पाठ करते हैं, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं। जहां भगवान की कथा हो, वहां यमदूत नहीं आते।