नईदुनिया प्रतिनिधि,जशपुरनगर: जिले में हड्डी कंपकपा देने वाली ठंड के साथ इन दिनों डेंगू का कहर भी बरप रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में अब तक 20 पीड़ित मरीजों की जांच में पुष्टि हुई है। शहर में डेंगू से तीन लोगों की मौत की चर्चा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है। विभाग का कहना है कि मौत के लिए निर्धारित प्रक्रिया के बाद ही,इसकी पुष्टि की जाती है।
सीएमएचओ जीएस जात्रा ने बताया कि डेंगू की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होनें बताया कि विभाग समय-समय पर सर्वे कराता है। उन्होनंे बताया कि शहर में अब तक 8 डेंगू संक्रमित मरीजों की पहचान हो चुकी है। उन्होनें बताया कि डेंगू पीड़ितों का ट्रेवल इतिहास भी खंगाला जा रहा है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि मरीज डेंगू से जिले में संक्रमित हुए या बाहर से संक्रमित हो कर आए थे। डा जात्रा ने बताया कि डेंगू एक मच्छर जनित रोग है। इसमें बुखार आने के साथ खून में प्लेटलेट्स की संख्या गिरने लगती है। जिससे पीड़ित को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होनें अपील किया डेंगू से बचने के लिए अपने आसपास सफाई रखें और कहीं भी पानी का जमाव ना होने दें। खास कर कूलर और कबाड़ में पानी के जमाव को रोकने की आवश्यकता होती है।
रैपिड कीट के भरोसे मरीजों की जांच -
डेंगू के कहर के बीच जिले में इस रोग की पहचान का संकट चिकित्सकों के सामने हैं। जिला चिकित्सालय में हमर लैब संचालित हैं। लेकिन यहां एनालाईजर से मरीज का खून जांच कर,डेंगू की पहचान करने की सुविधा नहीं है। डा जात्रा ने बताया कि फिलहाल रैपिड कीट की सहायता जांच की जा रही है। लेकिन इसका परिणाम पूरी तरह से विश्वसनिय नहीं होता है। एनालाईजर टेस्ट के लिए खून को जांच के लिए अंबिकापुर भेजना पड़ता है। यहां से परिणाम आने में समय लग जाता है। इस बीच,मरीजों की जान भगवान भरोसे ही होता है। इस तरह की गंभीर बीमारियों की जांच के लिए सरकार ने वायरोलाजी लैब की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। लेकिन,डोड़काचौरा में निर्मित यह लैब सालों से तालों में कैद हो कर धूल फांक रहा है।
फागिंग और छिड़काव भी नियमों में कैद -
डेंगू के कहर से जिलेवासियों को बचाने के लिए डीडीटी का छिड़काव और फागिंग मशीन के इस्तेमाल को लेकर भी सरकार ने जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ नियमों से बांध दिया है। सीएमएचओ डा जात्रा ने बताया कि मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए फागिंग मशीन का इस्तेमाल सिर्फ शहरी क्षेत्र में किया जा सकता है। वहीं डीडीटी के छिड़काव के लिए आवश्यक है जिले में मलेरिया और डेंगू के संक्रमण का दर 1 प्रतिशत से अधिक हो।फिलहाल जिले में यह दर .6 प्रतिशत में सिमटी हुई है।