
नईदुनिया प्रतिनिधि, जशपुरनगर। साहब मैं जिंदा हूं। मेरी हत्या नहीं हुई। मैं तो रोजगार की तलाश में झारखंड गया हुआ था और वहां अपने साथियों को छोड़ कर आगे निकल गया था। हत्या के मामले में पुलिस जिस सीमित खाखा को मृतक बता रही थी, वह शनिवार की रात को कोतवाली थाना पहुंच कर उक्त बातें कही। सीमित को जीवित देख कर पुलिस के साथ उसके स्वजन और ग्रामीण भी आश्चर्य चकित हैं। अब पुलिस इस मामले में नए सिरे से जांच की बात कह रही है। मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम सिटोंगा का है। दरअसल कोतवाली थाना क्षेत्र के पुरना नगर और बालाछापर के बीच स्थित जंगल में 22 अक्टूबर को एक अधजली शव पुलिस को मिली थी। कोतवाली पुलिस ने इस शव की पहचान सिटोंगा निवासी सीमित खाखा 30 वर्ष के रूप में किया था। हत्या के इस मामले का 2 नवंबर को पुलिस ने राजफाश किया था।
पुलिस ने बताया था कि सीमित खाखा अपने चार साथियों के साथ बोरिंग वाहन में काम करने के लिए झारखंड के हजारीबाग गया था। यहां काम करने के बाद चारों दोस्त 17 अक्टूबर को वापस जशपुर लौटे थे। पुलिस के अनुसार बस से सीमित खाखा,रामजीत राम 25 वर्ष,विरेंद्र राम 24 वर्ष और एक अपचारी बालक शहर के बांकी टोली में बांकी नदी के पुलिया के पास पहुंचे। यहां चारों लोगों ने जमकर शराब पिया। नशे की हालत में चारों के बीच कमीशन की राशि को लेकर विवाद हो गया।
विवाद के दौरान रामजीत राम ने सीमित खाखा के सीने में चाकू से और विरेंद्र राम ने लोहे की रॉड से वार किया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हत्या की इस घटना को छिपाने के लिए आरोपितों ने शव को घटना स्थल से 400 मीटर दूर स्थित जंगल के एक गड्ढे में डाल दिया और बाद में पेट्रोल डाल कर शव को जलाने की कोशिश की थी। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने आरोपित रामजीत राम,विरेंद्र राम और अपचारी बालक के विरूद्व हत्या और साक्ष्य मिटाने का अपराध कायम करते हुए गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया था।
हत्या के इस मामले में शनिवार की रात उस समय नया मोड़ आ गया जब मृतक सीमित खाखा,ग्राम पंचायत सिटोंगा की सरपंच कल्पना लकड़ा के साथ सिटी कोतवाली पहुंच गया। सरपंच ने बताया कि सीमित शनिवार को झारखंड से आने वाली एक बस से उतरा और सिटोंगा आने वाली एक आटो में बैठा। आटो का चालक सीमित को पहचनता था,उसी ने फोन कर उसे बताया कि जिस सीमित की हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है वह जीवित है और आटो में सवार है।
इस पर सरपंच, सीमित को लेकर सीधे कोतवाली थाना पहुंच गई। सीमित खलखो ने बताया कि वह रोजगार की तलाश में अपने साथियों के साथ झारखंड पहुंचा था। रांची में वह अपने साथियों से अलग हो कर गिरीडीह जिले के सराईपाली गांव पहुंच गया था और यहां खेत में मजदूरी का काम कर रहा था। उसके पास मोबाइल ना होने के कारण वह किसी से संपर्क नहीं कर पा रहा था। अब वह क्रिसमस मनाने के लिए अपने घर वापस लौटा है। सीमित को जीवित देख कर पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए।
एसडीओपी चंद्रशेखर परमा ने बताया कि हत्या के इस मामले में पुलिस ने पूरे प्रोफेशनल तरीके से कानून का पालन करते हुए कार्रवाई की है। उन्होनें बताया कि अधजले शव की पहचान सीमित खलखो के माता,पिता और भाई ने कार्यपालिक मजिस्ट्रेट (नायब तहसीलदार) के समक्ष किया था और आरोपितों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने हत्या का अपराध स्वीकार किया था। दोनों ही प्रक्रिया की विडियो रिकाडिंग कराई गई है। एसडीओपी ने बताया कि इस मामले की अब नए सिरे से जांच की जाएगी और गिरफ्तार किये गए आरोपितों के अस्थायी रिहाई की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
हत्या के इस मामले में पुलिस ने हत्या स्थल बांकी नदी के पुल से लेकर शव को जलाने के स्थल जंगल तक क्राइम सीन को रिक्रिएट (घटनाक्रम का छद्म दोहराव) किया था ताकि पूरा मामला स्पष्ट हो सके। इतनी सावधानी के बावजूद शव के पहचान में हुई चूक से पुलिस सवालों के घेरे में आ गई है। ‘सीमित खाखा की हत्या के मामले में पुलिस ने जांच के दौरान पहचान और अपराध स्वीकार करने की प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया है। सीमित के वापस लौट आने के बाद इस मामले की नए सिरे से जांच की जाएगी।’’ चंद्रशेखर परमा, एसडीओपी, जशपुर।