नईदुनिया प्रतिनिधि, कांकेर: जिले के चारामा ब्लॉक स्थित ग्राम हाराडुला में मतांतरण को लेकर अंतिम संस्कार के मामले ने विवाद का रूप ले लिया। ग्रामीणों मतांतरित महिला का शव गांव में दफनाने नहीं दिया, वहीं हिंदू सगठन के लोगों शव का दाह संस्कार नहीं करने दिया। जिसके बाद मृतका के परिजनों को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए वापस सनातन धर्म में लौटना पड़ा।
जानकारी के अनुसार, ग्राम हाराडुला में राम सोनवानी और लक्ष्मण सोनवानी दोनों भाइयों ने ईसाई समाज में मतांतरण कर लिया था। आज उसकी माता का देहांत होने के उपरांत जब शव को गांव में अंतिम संस्कार करने गए, तो ग्रामीणों ने शव को दफनाना नहीं दिया। दोनों भाइयों ने शव को अपने चर्च शव ले गए थे, जो वहां भी उनको मना कर दिया गया।
गांव की बुजुर्ग महिला पुनिया बाई का निधन गुरुवार दोपहर 3 बजे हुआ। परिजनों ने शव को गांव में दफनाने की कोशिश की तो ग्रामीणों ने विरोध किया। उनका कहना था कि मतांतरित महिला का अंतिम संस्कार गांव में नहीं होगा। इसके बाद मृतका के परिजन शव को लेकर चारामा मुक्तिधाम पहुंचे और हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करने की इच्छा जताई।
यहां भी हिंदू संगठनों ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि यदि हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करना है तो पहले हिंदू धर्म अपनाना होगा, अन्यथा अपने गांव में ही संस्कार करें। मामले की गंभीरता को देखते हुए चारामा थाना प्रभारी और तहसीलदार मौके पर पहुंचे और भीड़ को शांत करने की कोशिश की।
हालांकि अब भी अंतिम संस्कार को लेकर विवाद को देखते हुए परिवार प्रसाशन के साथ हाराडुला ग्राम पहुंचा, जहां उन्होंने साहू समाज के साथ बैठक कर फिर से हिंदू रीति को अपने और हिंदू धर्म में पुनः वापस लौटने की सहमति देकर हिन्दू धर्म को अपनाया। जिसके बाद मृतिका का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रीवाज से किया गया।