भानुप्रतापपुर। स्थानीय सार्ईं मंदिर प्रांगण स्थल में आयोजित संगीतमय शिव पुराण कथा के तीसरे दिवस पं. अनिल महाराज ने शिव की महिमा की कथा सुनाई। गुरुवार के कथा में गुरु की महिमा और उसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए महाराज ने कहा कि प्रत्येक प्राणी को किसी न किसी ब्राम्हण को अपने गुरु बनाकर दीक्षा लेना अनिवार्य है, बिना दीक्षा के कोई भी जप तप मंत्र फलित नहीं होता है।
शिव पुराण में भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि पहले स्थान गुरु की है उसके बाद भगवान की। स्रोता तीन प्रकार के होते है, लेकिन जो स्रोता कथा को चित्त्त मन से श्रवण कर अंदर आत्मसात करती है उसे ही फल की प्राप्ति होती है। भारत देश में गंगा, यमुना, सोनभर्द्र, सरस्वती, नर्मदा नदी को अति पवित्र एवं मुक्ति दायनी बताया
गया है।
गंगा नदी ज्ञान का यमुना भक्ति वहीं नर्मदा नदी को जप का प्रतीक बताया है। यदि कोई भक्त अपने मंत्र को सिद्ध करना चाहता है तो एक माह नर्मदा के तट पर जाकर जपतप करें तो मंत्र सिद्ध हो जाते है। यदि कही पर शिव मंदिर स्थापित है उसके चारों ओर 100 हाथ तक शिव क्षेत्र कहलाता है, शिव का वास रहता है। यदि कोई प्राणी श्रद्धाभक्ति से भगवान शिव की 11 सौ बार ऊं नमः शिवाय का जाप करता है उनका जो भी मनोकामना पूरा होता है, यदि सवा तीन करोड़ मंत्र जप करने पर स्वयं भगवान शिव जी दर्शन होता है। वही श्रावण मास में पार्थिक शिवलिंग का निर्माण कर जलाभिषेक करने पर फलित होता है। भगवान शिव उनके कष्टो का निवारण करते है। पंडित ने कहा कि भारत देश मे धर्म को वर्तमान स्थित कैसे है इसे आप लोग भी जानते है। हिंदुत्व को जगाना है, धर्म के प्रति खड़े रहना है, हनुमान चालीसा पाठ, प्रत्येक घरों में ध्वज अनिवार्य रूप से लगाये। मस्तष्क पर तिलक अवश्य लगाए, कहा जाता है कि तिलक लगाने वाले प्राणी की भाग्य बदल जाता है उसकी कभी अकाल मृत्यु नही होती है। प्रति दिन घर में पूजन जपतप सभी को
करना चाहिए।