
नईदुनिया न्यूज, अंतागढ़। ग्राम पंचायत बड़े तेवड़ा में उस समय स्थिति विस्फोटक हो गई, जब सरपंच रजमन सलाम के पिता चमरु राम (उम्र लगभग 60–70 साल) के अंतिम संस्कार को लेकर धर्म और परंपरा आमने-सामने आ गई। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी रविवार को मौत हो गई। मौत के बाद जब शव को गांव लाया गया, तभी से गांव में तनाव का माहौल बन गया। परिजनों द्वारा बताया गया कि मृतक आदिवासी समाज से थे, किंतु उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था।
मंगलवार सुबह करीब 8 बजे समाज की परंपरा के अनुसार कफन-दफन एवं काठी-माठी की अनुमति के लिए ग्राम पटेल और माझी मुखिया से आग्रह किया गया, लेकिन धर्म परिवर्तन का हवाला देते हुए ग्राम प्रमुखों ने सहयोग से इनकार कर दिया। ग्रामीणों ने मांग की कि धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार गांव के पारंपरिक स्थल पर न किया जाए और शव को किसी अन्य स्थान पर ले जाकर दफनाया जाए। इस फैसले के बाद विवाद और गहराता चला गया।
17 दिसंबर को मामला उस समय और भड़क उठा, जब सर्व आदिवासी समाज, ईसाई समुदाय और भीम आर्मी से जुड़े लोग आमने-सामने आ गए। बताया जा रहा है कि आदिवासी समाज के कुछ लोगों द्वारा पक्के कब्र को तोड़े जाने की मांग शासन-प्रशासन से की जा रही थी, जिससे दोनों पक्षों में तीखी बहस शुरू हो गई।
देखते ही देखते कहासुनी हिंसक झड़प में तब्दील हो गई। इस दौरान कई पुलिसकर्मी एवं ग्रामीण गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल आमाबेड़ा में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, लेकिन हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। समाचार लिखे जाने तक पूरे इलाके में दहशत और आक्रोश का माहौल है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन-प्रशासन इस संवेदनशील और गंभीर मामले पर कब तक काबू पाकर शांति बहाल कर पाता है।
जिले में कफन दफन को लेकर ग्रामीण एक्शन मोड़ पर है। मतांतरितों की मौत के बाद गांव व जिले में कफन दफन को लेकर जबरदस्त तरीके से विरोध किया जा रहा है। इससे पहले चार व्यक्तियों के मौत के बाद उन्हें जिले से बाहर शासन प्रशासन द्वारा अंतिम संस्कार किया जा चुका है। जिसमें सबसे पहले दुर्गूकोंदल के कोड़ेकुर्से, कांकेर विकासखंड के बेवरती, ग्राम कुरना के मतांतरितों के मौत के बाद शव का जिले से बाहर कफन दफन हुआ था।
बड़ेतेवड़ा में विवादों को भांपते हुए पुलिस बल की पर्याप्त तैनाती की गई है। हजारों की संख्या में बड़े तेवड़ा में लोग विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे थे। वहीं मंगलवार को 80 जवानों को गांव में तैनात किया गया था। दूसरे दिन माहौल बिगड़ता देख 150 पुलिस जवानों को तैनात किया गया है। वहीं शाम होने तक सर्वसमाज और प्रशासन के बीच मामले को सुलझने का प्रयास जारी था।
आमाबेड़ा के अंदरूनी गांव बड़ेतेवड़ा आसपास जंगलों से गिरा हुआ है। एक समय बड़ेतेवड़ा गांव को लोग नहीं जानते थे मगर बुधवार को सर्व आदिवासी समाज, ईसाई समुदाय और भीम आर्मी से जुड़े लोग आमने-सामने होने से लोग जान गए है। अंदरूनी गांवों में भी मतांतरण का जाल फैल गया है।
बुधवार को मामला और गहरा गया। ग्रामीण धार्मंतरित व्यक्ति का शव कब्र से बाहर निकालने की बात पर अड़े रहे। इस दौरान शव को निकालने की कोशिश भी की गई, लेकिन पुलिस की मौजूदगी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इस दौरान दोनों पक्षों में झूमाझटकी हुई। विरोध के दौरान कुछ ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों को चोट भी आई है। गांव में बढ़ते तनाव को देखते हुए पुलिस के तमाम अधिकारियों ने मोर्चा संभाला।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गांव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया। इसके बाद अभी स्थिति नियंत्रण में है। जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है जब इस तरह के विरोध सामने आए हो। इसके पहले भी कई बार धर्मान्तरित व्यक्ति के शव दफन को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो चुकी है।