
नईदुनिया न्यूज, कांकेर। बस्तर में नक्सलवाद के बाद अब मतांतरण का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा में मतांतरण को लेकर पिछले चार दिनों से तनाव बना हुआ है। इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और आला अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बड़ेतेवड़ा में ईसाई समुदाय और आदिवासी समुदाय के बीच शव दफन को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था।
इस विवाद के चलते तीन चर्चों को तोड़कर आग के हवाले कर दिया गया और 20 से अधिक लोग घायल हुए। प्रशासन अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि मृतक का शव कहां दफन किया गया है या रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब बड़ेतेवड़ा के सरपंच राजमन ने अपने पिता के शव को ईसाई रीति-रिवाज के अनुसार दफन किया। आदिवासी समुदाय ने इसका विरोध किया, उनका कहना था कि आदिवासी परंपरा के अनुसार शव को दफन किया जाना चाहिए। पुलिस और जिला प्रशासन ने दोनों समुदायों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन आदिवासी समाज अपनी बात पर अड़ा रहा। इसके परिणामस्वरूप स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। बवाल के चौथे दिन आमाबेड़ा में सन्नाटा पसरा रहा।
पूरे क्षेत्र में ब्लैक आउट कर दिया गया था, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। पुलिस प्रशासन ने चौक-चौराहों पर जवानों की तैनाती की ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके। पुलिस प्रशासन ने फ्लैग मार्च निकालकर लोगों को शांति का संदेश दिया। आमाबेड़ा क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस ने लोगों को दुकानों को खोलने और किसी भी प्रकार की हिंसा में शामिल न होने की सलाह दी। कांकेर एसपी इंदिरा कल्याण एलेसेला और कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने भी घटना स्थल का दौरा किया और जवानों को हौसला अफजाई की।
सूत्रों के अनुसार, आमाबेड़ा के आसपास के गांवों में ईसाई समुदाय के चर्चों में फिर से तोड़फोड़ की आशंका है। इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ा दी है। प्रशासन का कहना है कि शव को निकालने के बाद स्थिति शांत हो गई थी, लेकिन कुछ राजनीतिक नेताओं ने भीड़ को भड़काकर स्थिति को और बिगाड़ दिया। पुलिस ने उपद्रवियों की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज और वीडियो का सहारा लिया है। चिन्हित होने के बाद उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।