
कवर्धा (नईदुनिया न्यूज)। जिले के दो सहकारी शक्कर कारखाना ग्राम राम्हेपुर व पंडरिया शक्कर कारखाना में गन्ना के बकाए के भुगतान को लेकर किसानों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। बता दें कि दोनों कारखानों को बंद हुए करीब 60 से अधिक दिन हो रहे हैं। इसके बाद भी किसानों को गन्ना की राशि नहीं मिली है। इससे किसान नाराज हैं। गुरुवार को किसानों की समस्या को लेकर पंडरिया के युवा कांग्रेस नेता आनंद सिंह के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट में किसानों के साथ कलेक्टर से चर्चा की। बताया जा रहा है कि शक्कर बेचने का अधिकार केंध सरकार के पास होता है। ऐसे में इन दोनो कारखाना में अनुमति मिलने के बाद ही शक्कर बेचा जाता है। इस कारण जिले के दोनों शक्कर कारखाना के 20 हजार से अधिक किसानों का लगभग 80 करोड़ रुपये जाम है।
प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
पंडरिया के युवा कांग्रेस नेता आनंद सिंह ने कहा कि अब जब केंध से शक्कर बेचने अनुमति में देरी होगी तो सीधे तौर पर किसानों को राशि भी नहीं मिलेगी। किसानों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा। ज्ञापन में किसानों ने अपनी आर्थिक स्थिति का वर्णन किया। कहा केंध के नियमों से बंधकर क्षेत्र के किसानों को अत्यधिक आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। वर्तमान में मानसून आ रहा है। खाद-बीज व अन्य उपयोगी सामग्री के साथ परिवारिक आवश्यक्ताओं की आपूर्ति के लिए यह राशि वर्तमान में आवश्यक है। किसानों ने ज्ञापन सौपते हुए यह भी स्पष्ट किया कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती तो एक सप्ताह के भीतर हम हाईकोर्ट जाकर पीआइएल दर्ज करेंगे। आंदोलन को मजबूर हो जाएंगे। किसानों का 44 करोड़ का भुगतान शेष है। कारखाने में लगभग 80 करोड़ का शक्कर रखा हुआ है। पर बिक्री की अनुमति नहीं है। शक्कर बिक्री की अनुमति केंध सरकार देती है, अगर सरकार शक्कर बिक्री की अनुमति दे देती है तो किसानों का भुगतान आसानी से हो जाएगा।
कलेक्टर से मिला आश्वासन, राशि जारी नहीं किया जो हाईकोर्ट जांएगे
इधर पंडरिया क्षेत्र के किसान कवर्धा कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे हुए थे। कांग्रेस नेता आनंद सिंह ने बताया कि शक्कर बिक्री के निए नियमो की बाध्यता को खत्म कर किसानों को जल्द राशि देन की मांग की गई है। इस संबंध में कलेक्टर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने बताया कि एक सप्ताह के भीतर किसानों को राशि नहीं दिए जाने को लेकर इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में पीआईएल (जनहित) याचिका लगाने की बात कहर है। हालांकि दो घंटे तक किसानों के साथ कलेक्टर की चर्चा हुई है। इस दौरान कलेक्टर ने जल्द से जल्द राशि जारी कराने का आश्वासन जरूर दिया है।
नुकसान में गुड फैक्ट्री मे गन्ना बेचना पड़ा
कलेक्ट्रेट पहुंचे किसानों ने बताया कि इस साल रकबा बढ़ने का असर दिखाई दिया। जिले में दो सहकारी शक्कर कारखाना व 200 से अधिक गुड़ फैक्ट्री हैं। किसान शक्कर कारखाना में गन्ना बेचने का बजाय गुड़ कारखाने में गन्ना बेचे है। दरअसल शक्कर कारखानों में किसानों को कई दिन वाहन लेकर लाइन में लगे रहना पड़ता है। बारी आने पर उनका गन्ना खरीदा जाता है। ऐसे में किसान गुड़ कारखानों में गन्ना बेचे हैं। भले ही उन्हें शक्कर कारखाना के बजाय वहां कम दाम मिल रहे हैं। इस साल 27 हजार हेक्टेयर में गन्ना की फसल लगी थी। रकबा ज्यादा होने के कारण इस साल मार्च माह तक दोनों शक्कर कारखाना में खरीदी हुई है। गुड़ कारखाने में किसानों को गन्ना का सही रेट नहीं मिला। वहीं सहकारी शक्कर कारखाना में 350 रुपये प्रति क्विंटल के दाम में खरीदा जाता है, जिसकी राशि अभी तक नहीं मिली है।