कवर्धा। नईदुनिया न्यूज
औपचारिकेत्तर पर्यवेक्षकों व अनुदेशकों को छतीसगढ राज्य बन जाने के बाद भी नियुक्ति नहीं मिल पाई है। इससे उसका भविष्य अंधकारमय हो गया है। संघ के सदस्यों ने शीघ्र ही सभी अनुदेशको व पर्यवेक्षको को शिक्षाकर्मी वर्ग 3 पद नियुक्ति देने कि मांग शासन से की है।
पूर्व में औपचारिक शिक्षा के केंद्रों में अनुदेशक व पर्यवेक्षक अपनी सेवाएं प्रारंभ की पर आज तक इन्हें सही मंजिल नहीं मिल पाई है। मध्यप्रदेश राज्य विभाजन के पूर्व से ही अधिक सख्या में पर्यवेक्षक व अनुदेशक कार्य कर रहे है। इसी समय समस्त अनुदेशकों एवं पर्यवेक्षकों ने न्यायालय की शरण लिए थे। जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने अपने 21 दिसंबर 2004 के आदेश में औपचारिकेत्तर शिक्षा अनुदेशक व पर्यवेक्षक को नियमित शिक्षक के रूप मे नियुक्ति करने का आदेश दिया था। इस फैसला का पालन मप्र सरकार ने किया है पर छग राज्य अलग होने के बाद औपचारिकेत्तर पर्यवेक्षकों व अनुदेशको को उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। आज तक इनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है।
औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ के जिलाघ्यक्ष लखन साहू ने बताया कि संघ द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद छग के राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को आवेदक देकर नियुक्त की मांग कर चुके है। संघ ने मप्र की तरह छग को भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करनें कि अपील की थी। संघ ने दिया लिखित आवेदन में यह भी कहा था कि आवेदकों कि नियुक्ति अविभाजित मप्र के समय कि गई थी इसलिए सर्वोधा न्यायालय का निर्णय इन पर भी लागू होता है। इसलिए इन्हें नियमित शिक्षक के रूप मे नियुक्ति देनी चाहिए। इसके अलावा औपचारिकेत्तर शिक्षक संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी इस पर सुनवाई भी हो गई है। स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने संचालक लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर को पत्र लिखकर औपचारिक शिक्षा केंद्रों के पर्यवेक्षक अनुदेशकों को शिक्षाकर्मी वर्ग-3 पर नियमित किए जाने के संबंध मे जानकारी अलग-अलग पदवार सूची के अंतर्गत पांच दिनों के भीतर मांगी थी। इस पत्र कि प्रतिलिपि कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जिले के चारों बीइओ को सूचनार्थ प्रेषित की गई है। लेकिन 13 साल के बाद भी इन्हें न्याय नहीं मिला है।