रायपुर। नईदुनिया, राज्य ब्यूरो। वनों की सुरक्षा और काली मीर्च की खेती में अलग पहचान बना रहे कोंडागांव के सल्फीपदर गांव को राज्यपाल अनुसुईया उइके गोद लेंगी। सल्फीपदर के आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल ने गुस्र्वार को राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की। इस दौरान राज्यपाल ने गांव को गोद लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस क्षेत्र का दौरा करेंगी। यह पहला मौका है जब राज्य में राज्यपाल ने किसी गांव को गोद लिया है। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ प्रेरित करना है।
राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में जल जंगल जमीन पर आदिवासियों का अधिकार है। वे वनों के असली मालिक हैं। वे सदियों से वनों की रक्षा करते आए हैं। उन्होंने कहा कि 5वीं अनुसूची के तहत ग्रामसभा को व्यापक अधिकार दिए गए हैं। उक्त किसानों की पानी के समस्या और काली मिर्च की खेती से संबंधित आवश्यकताओं का प्रस्ताव बनाकर ग्रामसभा के माध्यम से प्रशासन को प्रेषित करें। प्रशासन की तरफ से अवश्य मदद की जाएगी।
प्रतिनिमिंडल के साथ आए समाजसेवी हरिसिंह सिदार ने बताया कि ग्राम सल्फीपदर की महिलाओं का समूह वनों को ना किसी को काटने देते है और न जलाने देते है। किसी को पशु भी नहीं चराने देते। इस समूह द्वारा वृक्षों के नीचे काली मिर्च की खेती की जाती है। उन्होंने बताया कि कुछ समय से पानी की कमी से फसल को नुकसान हो रहा है।
इनका कहना है
सल्फीपदर गांव- बस्तर संभाग के कोंडगांव जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित लंजोडा का आश्रित गांव है।
72 परिवर, 59 हजार पेड़- सल्फीपदर गांव में करीब 72 परिवार रहते हैं। इन्होंने गांव के पास स्थित वन में 59 हजार से अकि मिश्रित पेड़ों के आसपास काली मिर्च की बेलें लगाई हैं। प्रत्येक परिवार के हिस्से में करीब आठ सौ पेड़ हैं, जिनके सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं की है।
तीन वर्ष पहले शुरू हुई मुहिम- वनों के लगातार सिमटने से चिंतित सल्फीपदर की महिलाओं ने करीब तीन वर्ष पहले वनों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया। समूह बनाकर वे बारी-बारी से प्रतिदिन वनों की रखवाली करने लगीं। महिलाओं से प्रेरित होकर गांव के पुरुष भी उनका साथ देने लगे।
सामुदायिक खेती- समाजसेवी हरीसिंग सीदार ने वनों की रखवाली करते ग्रामीणों से मिलकर वनों में रोजगार उपलब् कराने, वनों के अंदर काली मिर्च उगाने की बात कही। ग्रामीणों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस तरह सामुदायिक खेती के इस नए प्रयोग की शुरुआत हुई।