
कोरबा(नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना काल से बंद पड़ी 48 में 10 सिटी बसों का संचालन बीते वर्ष नवंबर माह में शुरू की गई थी। 38 शेष बसों की हालत संचालन लायक नहीं थी, इसलिए सुधार कार्य कराया जा रहा था। अच्छी खबर यह है कि लंबे समय बाद 12 अतिरिक्त बसों को संचालन के लिए तैयार कर लिया गया। आचार संहिता के बद परिवहन विभाग से संचालन के लिए अनुमति ली जाएगी। शहर के अलग-अलग रूट में चलने वालों बसाें की संख्या 10 से बढ़कर 22 हो जाएगी।
शहरी विकास अभिकरण के तत्वावधान में निगम से संचालन के लिए स्वीकृत 48 में 38 सिटी बसें तीन साल से दर्री स्थित प्रतीक्षा बस स्टैंड में संचालन की प्रतीक्षा में खड़ी है। पर्याप्त संख्या में बसों के संचालन नहीं होने का खामियाजा आम शहरी को भुगतना पड़ रहा है। शहर की यातायात व्यवस्था बदहाल होने के साथ शहर में एक किलोमीटर दूरी का सफर 20 रूपये हो गया है। वर्तमान में 10 बसों का संचालन शहर के ही एक ठेका कंपनी के द्वारा की जा रही है। बीते वर्ष नवंबर माह में बसों के की शुरूआते के बाद जिला प्रशासन ने कहा था कि एक माह बाद शेष बसों को शुरू कर दी जाएगी। मरम्मत के अभाव में इनकी शुरूआत नहीं हो सकी। 10 रूट में बसों की शुरूआत तो की गई लेकिन अचानक किसी बस के बिगड़ने के कारण कई आवागमन बंद हो रहा था। इस अव्यवस्था से निपटने के लिए अतिरिक्त बसों की मरम्मत कराई गई है।
इस तहर फिटनेस बसों की संख्या 10 से बढ़कर 22 हो गई है। ठेका कंपनी को अब जिला परिवहन संचालन परमिट का इंतजार है। बहरहाल पर्याप्त बसाें का संचालन नहीं होने से आटो चालक मनमाने ढंग से किराया निर्धारित कर रहे हैं। सीएसईबी चौक से यात्रियों का निहारिका जाना हो तो किराया 15 से 20 रूपये वसूला जा रहा है। सिटी बस संचालन के लिए बनी रूट के अनुसार प्रतीक्षालय भी बनाया गया था। बसों के संचालन जारी रहने से पीजी, केएन, मिनीमाता आदि सरकारी कालेज के शहर के कालोनियों में रियायत किराए में पहुंचने की सुविधा थी। बसों के बंद होने से प्रतीक्षालय मवेशियों की शरणास्थली बन गई है। आटो से वार्डो तक पहुंचने के लिए सामान्य से दोगुना व तिगुना किराया देना पड़ रहा है।
इसलिए संचालन करना पड़ा था बंद
निगम प्रशासन ने बस संचालन के लिए कर्नाटक के दुर्गाम्बा कंपनी के साथ अनुबंध किया था। कोरोना काल में लाकडाउन लगने से बसें बंद हो गई। संक्रमण में कमी आने के बाद निगम प्रशासन ने कंपनी से बसों को फिर से संचालन के लिए कहा। इस पर ठेका कंपनी ने सिटी बस में काम करने वाले कर्मचारियों कोरोना काल की राशि की मांग की। इस पर निगम प्रशासन की ओर से असमर्थता जताते हुए नए सिरे से काम करने के लिए कहा। सिटी बस के संचालन से लेकर वाहनों के फिटनेस के लिए कंपनी ने 350 से भी अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की थी।
किराया बढ़ने से कालेजों में घटी विद्यार्थियों की संख्या
सिटी बस बंद होने से शहर में आटो रिक्श का किराया बढ़ गया। इसका सबसे अधिक असर नियमित कालेज व स्कूल आवागमन करने वाले छात्र-छात्राओं पर पड़ा है। बांकीमोंगरा, कटघोरा, पाली, मंडवारानी से लेकर बालको व रजगामार के यात्री को शहर से जोड़ने का काम रियायत दर सिटी बसें कर रहीं थी। बसों के बंद होने से छात्र-छात्राओं का नियमित स्कूल कालेज आना बंद हो गया है। महंगी यात्रा होने से शैक्षणिक संस्थानों में उपस्थिति घट गई है जिसका असर आगामी परीक्षा में दिखाई देगा। निजी बस के संचालक नियमित आवागन करने वाले स्कूली बच्चों को रियायत नहीं दे रहे। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की बात कहर उनसे सामान्य यात्रियों की तरह किराया वसूली की जा रही है।
रात्रिकालीन सेवा के नाम पर मनमानी
सिटी बस बंद होने से रात्रिकालीन यात्री अब पूरी तरह से आटो रिक्शा पर निर्भर हो गए हैं। रेलवे रूट से यात्रा करके शहर वापस लौटने वाले यात्रियों को दिन के अलावा रात्रि नौ बजे आवागमन के लिए सिटी बस की सुविधा मिल जाती थी। बस सेवा बंद होने से आटो चालको की मनमानी बढ़ गई है। स्वजनों के साथ पहुंचने वाले यात्रियों को घर तक छोड़ने नियम के विरूद्ध किराया लिया जाता है। बीमार, जरूरतमंद को उनके मंजिल तक पहुंचाने में मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है।
इनका कहना
शहर में 48 में 22 बसें फिटनेस के दायरे में हैं। 10 बसों को संचालन हो रहा है। शेष अतिरिक्त बसों को चलाने के लिए परिवहन विभाग के अनुमति का इंतजार है। आचार संहिता के बाद अन्य बसों का भी संचालन की दिशा में आवश्यक प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
एके शर्मा, नोडल अधिकारी, सिटी बस संचालन कमेटी