कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बारिश के बाद जर्जर हो चुके कोरबा चांपा मार्ग को लोक निर्माण विभाग ने 70 फीसदी मरम्मत कर लिया है लेकिन रेलिंग विहीन पुलों की दशा में सुधार नहीं हुई है। मुख्य मार्ग की मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग को 25 करोड़ दिया था। इस राशि से विभिन्ना् नालों में बने पुल के रेलिंग का भी सुधारना था। कोरबा चांपा मार्ग के बीच छोटे बड़े 11 पुल पड़ते हैं। इनमें पांच पूरी तरह से रेलिंग विहीन है और चार के रेलिंग क्षति ग्रस्त हो चुके हैं।
सड़को में सुरक्षित आवागमन के उसके निर्माण और सुरक्षा व्यवस्था पर ही निर्भर करता है। ज्यादातर सड़क दुर्घटनाये मोड़ अथवा पुल पर होती हैं। पुल यदि रेलिंग विहीन हो तो दुर्घटना की संभावना और भी बढ़ जाती है। कोरबा से चांपा पहुंच मार्ग इसलिए और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह दो जिलों को जोड़ती है। मार्ग में जहां दिन के समय यात्री वाहनों की आवागमन की भरमार रहती है वहीं रात को भारी वाहनों को सड़कों में दबाव रहता है। इस मार्ग से होकर चांपा ही नहीं बल्कि भैसमा, सोहागपुर, पंतोरा आदि गंतव्य के लिए बसें चलती हैं। सबसे अधिक खतरा उरगा और कनबेरी के पास रेलिंग विहीन पुल में है, जिसे सुधारने में लोक निर्माण विभाग द्वारा अभी तक कोई पहल नही की गई। दरअसल कोरोना काल के पहले ही सड़क की दशा जर्जर हो चुकी थी। सुधार के लिये राज्य सरकार ने 25 करोड़ की लोक निर्माण विभाग को स्वीकृति दी थी। जारी राशि से सड़क का निर्माण तो किया गया लेकिन पुलों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है। पुल में रेलिंग लगाना तो दूर उसके फर्श की मरम्मत भी नही की गई है। हालिया स्थिति यह है पहले बार इस मार्ग से गुजरने वाले वाहन चालकों को रात में धोखा होता है और दुर्घनाग्रस्त वाहन नाले में गिरते हैं। दुखद पहलू यह है कि रेलिंग नहीं होने के बाद भी वैकल्पिक व्यवस्था तहत रेडियम
मुआवजा वितरण के अभाव में रुका फोरलेन का काम
830 करोड़ की लागत से फोरलेन बनाने की जिम्मेदारी नेशनल हाइवे को दिया गया है। तीन साल बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। उरगा से चांपा मार्ग में अधिग्रहित जमीन का मुआवजा वितरण लंबित है। यही वजह है कि ठेका कंपनी काम शुरू करने में असमर्थ है। अधिग्रहित जमीन पर फसल लगी है। माना जा रहा है कि फसल कटाई के बाद काम शुरू हो जाएगा। इसके विपरीत चांपा की ओर कोरबा पहुंच मार्ग के लिए मुआवजा प्रकरण दुरूस्त किया जा चुका है। ऐसे में सड़क की शुरूवात चांपा की ओर से शुरू होना तय माना जा रहा है।
धूल से नहीं सूझती राह
पुल मार्ग में इतनी जर्जर हो चुकी है कि भारी वाहनों के गुजरने धूल का गुबार पूरे वातावरण में भर जाता है। विपरीत दिशा से आने वाले वाहन चालकों को रास्ता नही सूझता और वे नाले के नीचे गिर पड़ते हैं। पुल मार्ग संकरा होने की सूचना भी नहीं लिखी गई है। एक समय में दोने ओर से वाहनों का आवागमन संभव नहीं है। इस वजह से आए दिन यहां दुर्घटना होती है। जिला स्तरीय यातायात कमेटी में पुल के चौड़ीकरण करने के मांग वर्षों से की जा रही है। अब जबकि फोर लेन का निर्माण होना है ऐसे में सुरक्षित आवागमन के लिए व्यवस्थित सड़क सुधार में लोक निर्माण विभाग ने चुप्पी साध ली है।
पहंदा के पास सड़क की अधिक दुर्दशा
पूरे मार्ग का अवलोकन किया जाए तो सबसे अधिक जर्जर दशा पहंदा के पास है। मार्ग में डामरीकरण के नाम पर गड्ढों को पाटने की औपचारिकता ही बरती गई है। सुधार के समय सड़क की टायरिंग नहीं की गई है। बारिश के समय सबसे अधिक पानी का भराव होने से कीचड़ भी होती है। बारिश के बाद सूख चुके जर्जर सड़क में लंबी दूरी तक गिट्टी बिखरे हुए देखे जा सकते हैं। बीते दिनों हुई बारिश के कारण दशा और भी अधिक दयनीय हो चुकी है। भारी वाहनों के आवागमन के अनुरूप मरम्मत नहीं किए जाने स्थिति दिनोदिन विकट होती जा रही है।
कटघोरा पाली मार्ग की भी दशा दयनीय
यह दशा केवल चांपा-कोरबा मार्ग की नहीं बल्कि कटघोरा से पाली मार्ग की भी है। गोड़मा नाला, कसीबहरा, कसनिया आदि पुल के टूटे रेलिंग खतरे को आमंत्रण दे रहे हैं। रेलिंग विहीन होने के बावजूद दुर्घटना से बचने के लिए लोक निर्माण विभाग ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है। नेशनल हाइवे के हवाले किए जाने के बाद मुख्य मार्गों के सुधार से लोक निर्माण विभाग ने हाथ खींच ली है। कटघोरा से बिलासपुर तक कोरबा जिले की सीमा में आने अधिकांश गांवों के बस स्टाप जर्जर हो चुके हैं। सड़क के दोनो ओर लगे दुकान धूल से अटे पड़े हैं।
सड़क निर्माण का काम पूरा हो चुका है। पुल में रैलिंग लगाने का काम भी शुरू किया जा चुका है। पुल में टायरिंग वर्क भी किया जाएगा। अधिक प्रभावित पुल से इसकी शुरूआत की जा रही है। दिसंबर माह तक सभी पुल में रैलिंग लगा लिया जाएगा।
एके वर्मा, मुख्य कार्यपालन अभियंता, लोकनिर्माण विभाग