कोरबा। पहले इंदिरा आवास योजना के नाम पर राशि प्राप्त कर मकान बनाया और अब एक ही परिवार के दूसरे सदस्य के नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राशि प्राप्त कर दो मंजिला मकान का निर्माण किया जा रहा।
कायदों का उल्लंघन करते हुए एक ही परिवार के दो सदस्य को योजना का लाभ देने का यह मामला सांसद आदर्श ग्राम तिलकेजा का है। ऐसे एक, दो नहीं बल्कि कई प्रकरण इसी तरह के देखे जा सकते हैं। विडंबना तो यह है कि जरूरतमंद कई हितग्राही आज भी भटक रहे।
विकास कार्यों को लेकर सुर्खियों में रहे सांसद आदर्श ग्राम में अब प्रधानमंत्री आवास वितरण को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित होने लगी है। आवास योजना की सूची के अनुसार सत्र 2015-16 में बुंदेली बाई के नाम से इंदिरा आवास स्वीकृत हुआ है।
आवास निर्माण के बाद इसी सत्र शुरू हुए प्रधानमंत्री आवास योजना में बुंदेली बाई के पुत्र देवानंद केंवट का नाम का शामिल कर दिया गया है। मजे की बात तो यह है कि पुत्र देवानंद खुद को परिवार से अलग बता रहा है और जमीन भी उसके पास उपलब्ध नहीं है, इसलिए मां के मकान के ऊपर ही मकान बनाने की बात कह निर्माण कार्य करा रहा है।
हकीकत यह है कि दो मंजिला मकान बनाने के लिए एक ही परिवार के दो सदस्य इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इसी तरह जनकुंवर के नाम से इंदिरा आवास स्वीकृति के बाद ऊपर में दिलीप कैवर्त के नाम से प्रधानमंत्री आवास बन रहा है।
इस तरह का केवल दो ही मामला नहीं, बल्कि गांव में ऐसे कई हितग्राही हैं जिनके नाम से दोनों आवास योजना का नाम होने की वजह से समानांतर अथवा आवास के ऊपर आवास का निर्माण किया जा रहा है। कमीशनखोरी के बल पर एक ओर गांव में एक ही परिवार के दो-दो लोगों को योजना का लाभ दिया जा रहा है, वहीं गांव में निवासरत रामू यादव आज भी बेघर जीवन जीने पर मजबूर है।
रामू ने कई बार इंदिरा आवास के लिए आवेदन लगाया, पर अब तक उसके नाम से आवास की स्वीकृति नहीं हुई। लिहाजा आज भी वह गांव के मंदिर में रहकर गुजारा कर रहा है। गांव के ही दिलीप कैवर्त ने पूर्व कलेक्टर से शिकायत की थी कि उसके नाम से स्वीकृति आवास योजना की राशि अब तक जारी नहीं की गई है। इसमें अब तक सुनवाई नहीं हुई है।
किराए के मकान में रह रही उत्तरा सत्र 2015-16 की सूची में उत्तरा बाई हलवाई के नाम से इंदिरा आवास स्वीकृत हुआ है। साल भर से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उसे आवास बनाने के लिए राशि नहीं मिली है।
जिस मकान में वह रह रही थी, उसे बेजा कब्जा बताकर तोड़ दिया गया है। ऐसे में उत्तरा आवासहीन हो गई है। उत्तरा अपने परिवार के साथ किराए के घर में रह रही है। उत्तरा जब भी सरंपच व सचिव के पास जानकारी लेने जाती है, तो टालमटोल कर उसे वापस भेज दिया जाता है।
पक्का आवास वाले भी बने हैं हितग्राही
जिनके पास पहले से पक्का आवास है, वे हितग्राही भी योजना की सूची में शामिल हैं। जारी राशि से अपने घर का मरम्मत कराने की जुगत में लगे हैं, बगैर भौतिक सत्यापन के राशि जारी करने का खेल पहले से ही जारी है। जिन हितग्राहियों को पूर्व में इंदिरा आवास स्वीकृत हुआ है उनके आवास का फोटोग्राफ जनपदों में उपलब्ध नहीं है। योजना अनुसार उपयोगिता राशि पाने के लिए आवास की फोटोग्राफी जरूरी है।
रहता है भैसमा में, स्वीकृति तिलकेजा में
खुद की मर्जी के मुताबिक आवास योजना का लाभ लेने में लोग चूक नहीं कर रहे हैं। वर्तमान सरपंच का भाई जो पिछले 10 साल से निकटवर्ती गांव भैसमा अंजोरीपाली में निवास करते हैं, उनके नाम से प्रधानमंत्री आवास तिलकेजा में स्वीकृत कराई गई है।
गांव के पंच दुलीचंद का कहना है कि यह सही है कि सरपंच का भाई 10 साल से दूसरे गांव अंजोरीपाली में निवासरत है, जहां उसके नाम से राशन कार्ड भी बन चुका है। इसके दूसरे गांव की नागरिकता लेने के बाद भी तिलकेजा ग्राम पंचायत से आवास की स्वीकृति कराई गई है।
सूची में एक ही परिवार के दो सदस्यों को हितग्राही बनाना गंभीर मामला है। मामले की जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। वास्तव में जो पात्र हितग्राही हैं, उन्हें योजना से जोड़ा जाएगा। - जीके मिश्रा, सीईओ, जनपद कोरबा