कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। फर्जी राशन वितरण को रोकने के लिए सभी हितग्राहियों का ई-केवायसी के अंतर्गत फिंगर प्रिंट मिलान करना केंद्र सरकार ने अनिवार्य कर दिया है। एक जून से 31 जुलाई तक तीन बार तिथि बढ़ाया जा चुका है। इसके बाद भी जिले के 3.26 लाख राशनकार्ड हितग्राहियों में 55 प्रतिशत हितग्राहियों का सत्यापन नहीं हुआ है। सत्यापन हीं कराने वालों में ज्यादातर नाम्नी के सहारे राशन लेने वाले बुजुर्ग व दिव्यांग हैं। ऐसे हितग्राहियों का दुकान तक पहुंचना मुश्किल है। सत्यापन के अभाव में फर्जी राशन वितरण को रोकने में खाद्य विभाग नाकाम है।
सस्ता राशन वितरण प्रणाली आम हितग्राहियों के लिए जितना सुगम ही उतना ही इसे दुकान संचालकों ने उपरी कमाई का जरिया बना लिया है। राशन कार्ड का पिछले चार वर्षों से सत्यापन नहीं हुआ है। ऐसे में मृत हो चुके हितग्राहियों का नाम अभी भी नहीं हटाया गया है। 45 प्रतिशत राशन कार्ड का सत्यापन होने के बार 3,900 हितग्राहियों में कमी आई है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि विगत कई वर्षों से शासन को राशन वितरण के नाम चूना लगाया जा रहा है। अभी 55 प्रतिशत हितग्राहियों के फिंगर प्रिंट का सत्यापन शेष है। ऐसे 5,000 से अधिक हितग्राहियों का नाम कम होना लगभग तय है। राशनकार्ड में ऐसे बुजुर्ग, नि:शक्त व दिव्यांगों का नाम है जो सत्यापन के लिए दुकान तक नहीं आ सकते। शासन ने ऐसे हितग्राहियों को नाम्नी बनाने का अधिकार दिया। राशन कार्ड सत्यापन कराने के लिए नहीं आने वालों में ज्यादातर नाम्नी के माध्यम से राशन लेने वाले हितग्राही हैं। बताना होगा कि जिले में 3,26,967 राशन कार्ड हैं।
इनमें 37,656 एपीएल हितग्राही हैं। एक जनवरी से 31 जुलाई तक जिले में 31,765 नए राशन कार्ड बने हैं। इनमें इस अवधि केवल 302 कार्ड बंद हुए हुए हैं। नए राशन कार्ड में 29,231 बीपीएल हैं। एक ओर राज्य शासन की ओर से विकास की गाथाएं गढ़ी जा रही वहीं जिले सस्ता राशन पाने वालों की होड़ लगी है। बताना होगा कि ई-केवायसी कराने के लिए निर्देश पहली बार 25 मई को जारी की गई थी। 30 जून तक के वायसी पूरा करने के लिए कहा गया। निर्धारित तिथि तक काम पूरा नहीं होने पर समय सीमा 31 जुलाई कर दी गई। अब जबकि 50 प्रतिशत से भी कम लोगों का सत्यापन हुआ है ऐसे में समय सीमा 31 अगस्त बढ़ा दी गई है।
निकटवर्ती दुकानाें में नाम जोड़ने में गड़बड़ी
जिले के 412 ग्राम पंचायत और पांच नगरीय निकायों के 567 उचित मूल्य दुकानों का संचालन किया जा रहा है। दुकानवार नाम जोड़ने में की गई गड़बड़ी की वजह लोगों को लंबी दूरी तय कर राशन लेने जाना पड़ता है। दादरखुर्द में दुकान होने के बाद भी ग्रामीणों को मानिकपुर राशन लेने जाना पड़ रहा। इसी तरह श्यांग लेमरू, देवपहरी के दुाकानों में लोग 10 से 12 किलोमीटर दूरी तय कर सामान लेने पहुंचे हैं। यही वजह है कि दिव्यांग व बुजुर्ग के-वायसी कराने में नाकाम हैं।
ई-पास मशीन सुधारने के लिए केवल दो कर्मी
पारदर्शितापूर्ण राशन वितरण के लिए ई-पास मशीन को तौलयंत्र से जोड़ना जरूरी है। आए दिन मशीन में आने वाली तकनीकी खराबी की वजह राशन वितरण बाधित रहता है। मशीन की खरीदी हैदराबाद के निजी कंपनी से की गई है। स्थानीय स्तर पर सुधार कराने के लिए केवल दो इंजीनियर पदस्थ किए गए हैं। 567 दुकानों में आए दिन मशीन खराब होने की सूचना मिलती है। समय पर राशन नहीं मिलने से हितग्राही हलकान रहते हैं।
खेती का काम छोड़ काटना पड़ रहा चक्कर
दुकानों ई-केवायसी के साथ राशन वितरण को भी समय पर पूरा करने का दबाव विक्रेताओं पर है। फिंगर प्रिंट का सत्यापन कराने के लिए पूरे परिवार के लोगाें को दुकान आना पड़ रहा है। खेती का दिन होने के बाद भी लोग काम छोड़ कर दुकान पहुंच रहे हैं। दुकान में लोगों की बढ़ती भीड़ की वजह से वितरण कार्य प्रभावित।
फैक्ट फाइल
2,89,311- बीपीएल राशन कार्डधारी
37,656- एपीएल राशन कार्ड
567- संचालित राशन दुकाने
45- प्रतिशत हितग्राहियों का हुआ ई-केवायसी सत्यापन
55- प्रतिशत हितग्राही ई- केवायसी के लिए शेष
उचित मूल्य दुकानों ई-केवायसी का कार्य जारी है। जहां तक दिव्यांग अथवा बुजुर्गों के दुकान तक नहीं पहुंचने की समस्या है तो उसके लिए गाइडलाइन मांगी गई है। सत्यापन के अभाव किसी भी हितग्राही राशन में कटौती नहीं होगी
जेके सिंह, जिला खाद्य अधिकारी