कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पखवाड़े भर पहले लगी बारिश की झड़ी का असर अब सब्जी बाजार में होने लगा है। तात्कालीन समय में बाड़ी सब्जियों के पौधों के खराब होने उत्पादन घट गया है। 20 रूपये किलो बिकने वाला टमाटर 60 रूपये किलो बिक रहा है। करेला, बैगन, भिंडी के भाव भी 50 रूपये किलो से पार हो गए हैं। सब्जियों के बढ़े दाम से गृहणियां हलकान हैं। सब्जी की महंगाई ने रसोई का जायका फीका कर दिया है।
सब्जी बाजार में छाई महंगाई से बीचौलियों सक्रिय हो गए हैं। शहर के मंडियों में स्थानीय सब्जी बाड़ी अवाक कम हो गई है। किसानों ने नए सिरे से सब्जी की बोआई शुरू की है। नई फसल को तैयार होने में 20 से 25 दिन का समय लगेगा। शहर के बुधवारी मंडी में नागपुर और अम्बिकापुर से सब्जियों की आवक हो रही है। स्थानीय बाड़ी से सब्जी आवक कम होने से बाजार में बिचौलियों का बोलबाला है। सबसे अधिक असर टमाटर की कीमत पर पड़ा है। मंडी दर में 30 से 35 रुपये किलो मिलने वाला टमाटर 50 से 60 रुपये भाव बिक रहा। हरी सब्जियों के दाम बढ़ने से आलू की कीमत 30 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है, वही प्याज का दाम 40 रूपये है। शुष्क सब्जियों में बड़ी, अरहर, मूंग, उड़द की कीमत में भी महंगाई की मार है। सब्जियों के बढ़े दाम का असर केवल गृहणियों रसोई तक ही नही बल्कि शहर में संचालित रेस्टारेंट में देखा जा रहा है। हरी और शुष्क सब्जी के तौर पर परोसी जाने वाली बरबट्टी, बैगन, मूली, तरोई जैसी सब्जियां थाली से गायब हैं। स्कूलों के मध्यान्ह भोजन की थाली में हरी सब्जियां परोसना समूह की महिलाओं को भारी पड़ रहा। कोरकोमा के सब्जी उत्पादक किसान सुरेश निर्मलकर का कहना है कि बेलों में तैयार होने वाली सब्जी फसल, लौकी, करेला, कद्दू पर बारिश का अधिक असर पड़ा है। पौधों में तैयार होने वाले भिंडी, बैगन में कीट प्रकोप का असर व्याप्त है। बारिश के बाद अनुकूल वातावरण होने से सब्जियों के अलावा धान की फसल में माहो कीट का असर बशने लगा है।
आसमान छू रहे फलों के दाम
नवरात्र के त्यौहारी सीजन में फलों के दाम पहले से बढ़े हैं ऐसे में सब्जियों के बढ़े दाम से लोगों को महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। केला 60 रूपये दर्जन बिक रहा है वहीं सेब 200 रूपये किलो चला रहा। अनार, अनानास पाती के जूझ 60 रूपये प्रति गिलास दर से बिक्री हो रही है। व्रती श्रद्धालुओं को फलाहार की औपचारिकता का निर्वहन करना पड़ रहा है। सिंघाड़ा, मेवा, काजू जैसे शुष्क फलाहार आम लोगों की खरीदी के बूते से बाहर है।
पेट्रोल के बढ़े दाम का परिवहन खर्च का असर
सब्जी के बढ़े दाम पर एक ओर मौसमी असर है वही दूसरी ओर परिवहन खर्च का असर है। पेट्रोल और डीजल के दाम 100 रुपये के आसपास होने से सब्जी के चिल्हर विक्रेताओ को मंडी से स्थानीय बाजार तक सब्जी ले जाने में अधिक कीमत चुकानी पड़ रही। इस कीमत की वसूली आम ग्राहकों से हो रही। सब्जी के बढ़े दाम का सीधा असर पौष्टिक खान- पान में हो रही है।
सब्जियों के दर (प्रति किलो)
टमाटर- 60
करेला- 60
मूली- 40
भिंडी- 50
आलू- 35
बरबट्टी- 60