कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। गेवरारोड- पेंड्रारोड रेल कारीडोर के निर्माण कार्य एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगी। केंद्र ने 127.7 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के लिए 500 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। वर्तमान में समतलीकरण का कार्य चल रहा है। इस परियोजना को करीब चार साल पहले स्वीकृति दी गई। अब तक यह पूरी नहीं हो सकी है। वर्ष 2024 में कार्य पूर्ण होने की उम्मीद जताई जा रही। इससे न केवल कोयला परिवहन में इजाफा होगा, बल्कि कोरबा, पेंड्रा-गौरेला- मरवाही व बिलासपुर जिले के 100 से अधिक गांव रेल सुविधा से जुड़ेंगे।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल से बन रहे गेवरारोड- पेंड्रारोड रेललाइन निर्माण की योजना वर्ष 2014 में बनाई गई। इसमें 64 फीसदी राशि एसईसीएल, 10 फीसदी राज्य शासन व शेष 26 फीसदी इरकान कंपनी खर्च उठा रही। इसे शुरू करने के लिए केंद्र ने वर्ष 2015 के बजट में मंजूरी दी। उस वक्त 1650 करोड़ की लागत का अनुमान रहा। परियोजना में विलंब हुआ और 2022 तक पूर्ण नहीं हो सका। वर्ष 2018 सितंबर में निर्माण कार्य शुरू किया गया। वर्ष 2022 में काम पूर्ण करना था, पर बजट के अभाव में गति सुस्त रही। कारीडोर के रास्ते में पहाड़ी क्षेत्र के साथ नदी- नाले, पेड़- पौधे हैं। रास्ते में आने वाले पहाड़ व पेड़ को काटने में वक्त लग रहा। अब तक समतलीकरण कार्य ही चल रहा। यह कार्य पूरा होने के बाद ही रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हो सकेगा। बताया तो यह भी जा रहा है कि निर्माण के दायरे में आने वाले कुछ ग्रामीणों के अधिग्रहित किए गए जमीन का मुआवजा भी नही दिया गया है। गेवरा, कुसमुंडा व दीपका खदान से उत्पादन होने वाले कोयला परिवहन के लिए इस रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है। एक पंथ दो काज की तर्ज पर इस लाइन पर यात्री गाड़ियां भी चलाई जाएंगी। निर्माण कार्य की निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय कर रही है।
तीन वर्ष पिछड़ा काम
गेवरारोड़-पेंड्रारोड़ तथा धरमजयगढ़-उरगा रेल लाईन का काम तीन वर्ष के भीतर पूरा करने की घोषणा वर्ष 2018 में भूमिपूजन के दौरान की गई थी। इसके तहत सन 2021 तक रेल लाइन में ट्रेन दौड़ने लगना था, पर अभी तक निर्माण कार्य ही शुरू नहीं हो सका है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही काम शुरू होने के साथ निर्धारित अवधि में पूरा कर लिया जाएगा।
तीन मेगा प्रोजेक्ट से 1700 लाख टन कोयला उत्पादन
साउथ इस्टर्न कोलफिल्डस लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा से 700 लाख टन, दीपका से 400 लाख टन व कुसमुंडा खदान से 600 लाख कोयला उत्पादन भविष्य में होगा। पाली ब्लाक में सरईपाली ओपनकास्ट खदान में उत्पादन बढ़ने के साथ अंबिका व करतली खदान खुलने से कोयला निकलेगा। इन खदानों का कोयला परिवहन करने के लिए इस रेल कारीडोर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस रेल लाइन के लिए जिले के कटघोरा, पाली व पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के 58 गांव की जमीन अधिग्रहित की गई है।
बजट में किस लाइन के लिए कितनी स्वीकृति
0 रायगढ मांड कालरी से भूपदेवपुर 63 किमी लाइन के लिए 1000 करोड रूपये
0 गेवरारोड-पेंड्रारोड 121.7 किमी लाइन के लिए 500 करोड रूपये
0 धर्मजयगढ़-कोरबा 63 किमी लाइन के लिए 300 करोड रूपये
0 झारसुगुडा-बिलासपुर 206 किमी चौथी लाइन के लिये 717 करोड रूपये
0 पेंड्रारोड-अनूपपुर तीसरी लाइन 50.1 किमी 40 करोड रूपये
0 अनूपपुर-कटनी तीसरी लाइन 165.52 किमी 605 करोड रूपये
0 एक नजर
योजना ईस्ट-वेस्ट रेल कारिडोर
दिशा उरगा- गेवरा-पेंड्रारोड लाइन
लागत 4919.11 करोड़ (संभावित)
दूरी 135.3 किलोमीटर
अधिग्रहित भूमि 58 गांव
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वर्ष 2018 में शिलान्यास के दौरान लागत
0 चिरमिरी-नागपुर हाल्ट, न्यू रेल लाइन- 17 किमी, लागत-241 करोड़
0 ईस्ट रेल कारीडोर (फेस टू-धर्मजयगढ़-कोरबा)- 62.5 किमी, लागत- 1154 करोड़
0 ईस्ट रेल कारीडोर- गेवरारोड-पेंड्रारोड़- 135.3 किमी, लागत- 4919.11 करोड़
0 बिलासपुर- अनुपपुर तीसरी रेल लाइन- 152 किमी, लागत- 1760 करोड़
0 ईस्ट रेल कारीडोर (फेस वन- खरसिया- धर्मजयगढ)- 104 किमी, लागत-3055.15 करोड़
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