Korba News: वाईफाई से लैस हूटर भगाएगा हाथियों को, लोगों को भी करेगा सचेत
हाथी प्रभावित गांवों में ऊंचाई पर वाईफाई से लैस हूटर लगाए गए हैं। इनमें लगे स्पीकर में ही सामान्य आवाज को तीक्ष्ण बनाने की क्षमता है। सभी हूटर को मोबाइल से वाईफाई के जरिए कनेक्ट करके रखा गया है। इन सभी मोबाइल का रिंगटोन तेज शोर मचाने वाला है।
By Yogeshwar Sharma
Edited By: Yogeshwar Sharma
Publish Date: Sun, 09 Oct 2022 05:55:02 PM (IST)
Updated Date: Sun, 09 Oct 2022 05:55:02 PM (IST)

कोरबा (नईदुनिया)। हाथी प्रभावित गांवों में ऊंचाई पर वाईफाई से लैस हूटर लगाए गए हैं। इनमें लगे स्पीकर में ही सामान्य आवाज को तीक्ष्ण बनाने की क्षमता है। सभी हूटर को मोबाइल से वाईफाई के जरिए कनेक्ट करके रखा गया है। इन सभी मोबाइल का रिंगटोन तेज शोर मचाने वाला है। अब वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी या हाथी मित्र दल को पता चलेगा कि आसपास हाथियों की मौजूदगी है तो वह तत्काल संबंधित एप को आपरेट करेगा। इसके साथ ही शक्तिशाली हूटर (रिंगटोन) बजने लगेगा। इससे आसपास मौजूद हाथी ठिठक जाएंगे और गांव से दूर भाग जाएंगे।
जिले में हाथी की समस्या 22 साल पुरानी है। आमतौर पर हाथी 80 प्रतिशत भोजन जंगल में ही प्राप्त कर लेते हैं। शेष 20 प्रतिशत के लिए गांव की फसलों को चरने के लिए आ जाया करते हैं। फसल की सुरक्षा में लगे किसान उन्हे खदेड़ने का प्रयास करते हैं तो हाथी उलटवार कर देते हैं। हाथी और मानव के बीच संघर्ष को टालने वन विभाग परिस्थितियों के अनुरूप रणनीति बदल नए-नए उपाय कर रही। कोरबा वन मंडल के ग्यारह सर्वाधिक हाथी प्रभावित गांव गुरमा, गीतकुंवारी, कुदमुरा, लबेद, सिमकेदा, जिलगा, कटकोना, बासिन, सासिन , कलमीटिकरा व गुरमा में एक इलेक्ट्रानिक डिवाइस लगाया गया है। इसे वन विभाग ने आपेरशन सजग नाम दिया है। गांव के शासकीय भवन व सार्वजनिक स्थानों पर ऊंचाई में हाईटेक हूटर लगाया गया है। बिजली से चार्ज होने वाला यह हूटर मोबाइल एप सजग से संचालित होता है।
वन अधिकारी-कर्मचारियों के मोबाइल पर मौजूद एप का नेट चालू होते ही सायरन उससे कनेक्ट हो जाता है। जिन गांवों में हूटर लगा है, उसकी सारी जानकारी एप पर देखी जा सकती है। उस गांव के बटन को क्लिक करते ही हूटर शोर मचाना शुरू कर देता है। हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित जिन गांवों में हूटर लगाया गया है, वहां इस नई तकनीक को आरंभ करते हुए ग्रामीणों को सारी जानकारी से अवगत करा दिया गया है। हाथियों से बचाव के इस हाईटेक तकनीक को अब तक के सारे प्रयोगों से सफल माना जा रहा है। इसके बजते ही ग्रामीण सजग हो जाते हैं। साथ ही हाथी भी तेज आवाज की वजह से भाग जाते हैं।
किए गए ये आवययक बदलाव
डीएफओ प्रियंका पांडेय ने बताया कि हूटर का प्रयोग पहले भी किया जा चुका है, लेकिन इस बार आधुनिक तकनीक का उपयोग कर एप तैयार किया गया है। पहले हाथियों के गांव तक पहुंच जाने के बाद मेनुअल हूटर बजाया जाता था। तब तक ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पहुंचने का मौका नहीं मिल पाता था। हूटर में सिर्फ फ्रीक्वेंसी ही नहीं बल्कि साउंड पर भी काम किया गया है। साउंड को रिंगटोन के रूप में इस्तेमाल करने का नवाचार इसे कहीं आसान बनाएगा। हूटर बजेगा तो ग्रामीणों को सतर्क करने का काम भी स्वत: ही हो जाएगा। 16 हजार रुपये कीमत की इस डिवाइस को रायपुर मुख्यालय से भेजा गया है।
एनाइडर भी साबित हो रहा कारगर
जिले में अभी अलग-अलग झुंड में 55 हाथी भ्रमण कर रहे । इसके पहले कोरबा वनमंडल के दो गांव करतला व कुदमुरा में एनाइडर उपकरण लगाया जा चुका है। 15 मीटर के दायरे में हाथी के आते ही इसमें लगे सेंसर लाइट और अलार्म सिस्टम एक्टीवेट हो जाता है। इसकी आवाज सुनकर हाथी वापस जंगल की ओर भाग जाते हैं। सौर ऊर्जा से चलित इस सिस्टम में इंफ्रारेड सेंसर साउंड अलार्म और एलइडी लाइट का उपयोग किया गया है।