कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरबा मितान मंच के तत्वाधान में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कोरबा मितान मंच के अध्यक्ष घनश्याम तिवारी ने कहा कि प्रेमचंद सर्वहारा की पीड़ा मानव मन की संवेदना को समझने वाले लेखक थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ आशा आजाद के मधुर कंठ में सरस्वती वंदना करो वंदना शारदे मां, से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिलीप अग्रवाल व संचालन रमाकांत श्रीवास ने किया। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में दिल्ली से जुड़ी डा ममता श्रीवास्तवा ने मुंशी प्रेमचंद की जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद सचमुच कलम के सिपाही थे, उनकी कथनी और करनी एक थी। उन्होंने समाज में व्याप्त समस्याओं को अपनी कहानी के माध्यम से बड़े सुंदर ढंग से सभी के सामने प्रस्तुत किया। कोलकाता से जुड़ी मौसमी प्रसाद ने मुंशी प्रेमचंद की भाषा शैली का बखान करते हुए कहा कि उनकी भाषा शैली ने मेरे दिल को छू लिया। अभी भी कक्षा नौंवी में पढा हुआ मुझे याद है, उनकी संवेदनाएं दिलों को छू जाती थी। जफर हसन साहब ने अपने उदबोधन में कहा कि ईदगाह, दो बैलों की कथा आदि कहानी की चर्चा की, तो वही रामरतन श्रीवास ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का जन्म भी शनिवार को हुआ था और आज भी शनिवार है यह कितना सुखद संयोग है। आशा आजाद ने प्रेमचंद पर लिखे दोहे सुना कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में राकेश श्रीवास्तव लखनऊ ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का लेखन जनमानस का वर्णन रहा है, उन्होंने मुंशी प्रेमचंद के तमाम कहानियों और उपन्यासों की चर्चा की। वहीं ज्योति ने नमक का दरोगा नामक कहानी का वर्णन किया। कार्यक्रम में श्रोता के रूप में जुड़े नरेंद्र सिंह नीहार, डा पूर्णिमा उमेश, अंजना ठाकुर, उदय प्रकाश श्रीवास्तव आदि ने अपने संदेशों के माध्यम से सभी का उत्साहवर्धन किया।