0 सीमांकन पंचनामा में छेड़छाड़, पीड़ित दो साल तक भटकता रहा
(कटघोरा आसपास)
बांकीमोंगरा । नईदुनिया न्यूज
बांकीमोंगरा के 624 वर्गपᆬुट जमीन पर कब्जा के मामले में जांच रिपोर्ट बदल दिया गया। यह कारनामा राजस्व भू-अधीक्षक (एसएलआर) रहते जेपी सिंह ने किया। सीमांकन के दौरान कब्जा करना पाया गया पर बाद में रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ करते हुए कूटरचना की गई। प्रशासनिक जांच के बाद इसका खुलासा हुआ है।
बांकीमोंगरा में रहने वाले रामकरण अग्रवाल पिता किशन अग्रवाल ने वर्ष 2016 में मोंगरा स्थित खसरा क्रमांक 113/2 रकबा 0.291 हेक्टेयर के सीमांकन के लिए संभागायुक्त बिलासपुर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। कलेक्टर ने सीमांकन के लिए जिला स्तरीय राजस्व विभाग की टीम का गठन किया, जिसका नेतृत्व तत्कालीन भू-राजस्व अधीक्षक जेपी सिंह कर रहे थे। 3 मार्च 2016 को सीमांकन की कार्रवाई मौके पर पहुंचकर टीम ने की और इस दौरान 624 वर्गपᆬुट पर दिनेश अग्रवाल पिता गोविंद अग्रवाल द्वारा कब्जा किया जाना पाया गया। बकायदा सीमांकन की कार्रवाई का पंचनामा तैयार किया गया, जिसमें कब्जा करने वाले, शिकायतकर्ता व आसपास के जमीन स्वामियों का हस्ताक्षर संयुक्त रूप से कराया गया था। जांच की इस कार्रवाई के बाद नकल निकलवाने पर पता चला कि पंचनामा में 624 वर्गपᆬुट की जगह काटकर शून्य दर्ज कर दिया गया। यानी दिनेश को लाभ पहुंचाने के लिए कब्जा नहीं होना दर्शा दिया गया। इसकी शिकायत 25 अप्रैल 2016 को पुनः कलेक्टर समेत राजस्व विभाग के वरिष्ठ अफसरों तक की गई। इसका नतीजा यह रहा कि कलेक्टर ने एक और टीम तैयार कर इस मामले की जांच का आदेश दिया। 30 सितंबर 2016 को जांच रिपोर्ट आई, जिसमें यह साबित हो गया कि सीमांकन के दौरान 624 वर्गपᆬुट कब्जा दर्शाया गया था। बाद में छेड़छाड़ करते हुए शून्य कर दिया गया था। इस रिपोर्ट के बाद भी प्रशासनिक तौर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। दो साल तक पुलिस व प्रशासनिक दफ्तरों में लगातार पीड़ित पक्ष शिकायत करता रहा। अब कहीं जाकर बांकीमोंगरा पुलिस ने तत्कालीन भू-अधीक्षक जेपी सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचना का मामला धारा 468, 471, 467, 420 के तहत दर्ज किया है।
ओपी द्विवेदी पर भी हुए थे कई मामले दर्ज
इसके पहले भी राजस्व भू-अधीक्षकों पर गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। जेपी सिंह से पहले ओपी द्विवेदी इस पद पर थे। उनके स्थानांतरण के बाद जमीन के सीमांकन समेत अन्य गड़बड़ी के कई मामले सामने आए। एक-एक कर चार से अधिक मामला द्विवेदी के खिलाफ दर्ज किया गया। लंबे समय तक जेल में भी रहे। अब एक बार फिर जेपी सिंह के रिटायर होने के बाद यह मामला दर्ज हुआ है।