कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। एसईसीएल कोरबा कोलफील्ड्स में ईस्ट वेस्ट रेल्वे लिमिटेड (सीइडब्ल्यूआरएल) परियोजना के अंतर्गत गेवरा रोड से पेंड्रा रोड तक बन रही रेल लाइन का निरीक्षण कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने किया। उन्होंने उरगा-कुसमुंडा कनेक्टिविटी लाइन के ब्रिज नंबर तीन का जायजा लेते हुए अधिकारियों से चल रहे कार्य के संबंध में जानकारी ली। साथ ही आवश्यक निर्देश दिया।
गेवरारोड़- पेंड्रारोड परियोजना 191 किलोमीटर लंबी है जिसमें 135.3 किलोमीटर की मेन लाइन का काम शामिल है। परियोजना में गेवरा रोड, सुराकछार, दीपका, कटघोरा रोड, बिजहारा, पुटुआ, मतीन, सेन्दुरगढ़, पुटीपखना, भाडी, धनगवां तथा पेंड्रारोड स्टेशन शामिल हैं। पूरे कारिडोर में रेलवे लाइन के साथ स्टेशनों पर पैसेजर सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। सीईडब्ल्यूआरएल परियोजना की कुल लागत लगभग 4970 करोड़ है तथा इसके मेन लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण तथा फारेस्ट क्लियरेंस का काम कर लिया गया है। यह परियोजना अगले वर्ष दिसंबर तक पूरी कर लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। कोरबा कोलफील्ड में संचालित एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका व कुसमुंडा से निकले कोयले की ढुलाई में यह परियोजना अहम भूमिका निभाएगी।कोयला सचिव मीणा ने एसईसीएल सीएमडी डा प्रेम सागर मिश्रा एवं निदेशक मंडल के साथ निरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से बातचीत कर परियोजना की प्रगति के बारे में जाना। इसके पहले कोयला सचिव मीणा ने छाल साइडिंग का उद्घाटन किया तथा हरी झंडी दिखाकर रेल रैक को रवाना किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के अंतर्गत देश कोयला के परिवहन से जुड़ी आधारभूत संरचना का विकास किया जा रहा है तथा मुझे विश्वास है कि इस संबंध यह रेल कारिडोर एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा। छाल साइडिंग का निर्माण छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल) फेस वन प्रोजेक्ट के तहत किया गया है और इससे रायगढ़ क्षेत्र की छाल खदान सीधे रेल मार्ग से जुड़ जाएगी और रेल द्वारा कोयला डिस्पैच सीधे हो सकेगा।
इस्ट रेलवे लिमिटेड में बन रहा मंड- रायगढ़ रेल मार्ग
तीन हजार करोड़ की लागत से बन रहे छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल) फेस वन प्रोजेक्ट का उद्देश्य मंड-रायगढ़ कोलफील्ड्स को रेल मार्ग से जोड़ना है। कुल 124 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट के तहत खरसिया से धरमजयगढ़ के लिए 74 किलोमीटर लंबी मुख्य रेल लाइन, घरघोड़ा से पेलमा के लिए 30 किलोमीटर लंबी स्पर लाइन एवं छाल, बरौद, एवं दुर्गापुर के लिए 20 किलोमीटर लंबी फीडर लाइन का निर्माण किया जा रहा है। कोयला रिज़र्व के मामले में कोरबा कोलफ़ील्ड्स के बाद मंड-रायगढ़ कोलफील्ड्स आता है और जैसे जैसे कोयला उत्पादन का विस्तार होगा, आने वाले समय में ज़्यादा कोयला प्रेषण करने में रेल परियोजनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।