कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पारंपरिक धान की खेती की जगह दीगर फसलों की ओर रूझान बढ़ाने राज्य सरकार ने एक और प्रयास शुरू किया है। इस बार जिला उद्यानिकी विभाग ने सुतर्रा के गोठान के पांच एकड़ भूमि में लेमन ग्रास की खेती की है। इसका उद्देश्य किसानों को इस फसल की ओर प्रेरित करना है। धान के मुकाबले कम पानी व लागत में लेमन ग्रास की खेती की जा सकती है। प्रति एकड़ धान के बदले 15 से 20 हजार अधिक मुनाफा भी होगा।
जिले में मानसून आश्रित खेती होती है। इसमें ज्यादातर किसान धान की फसल लेते हैं। वर्षा समय पर होने पर फसल का लाभ मिल जाता है अन्यथा सूखे की भेंट चढ़ जाती है। धान के बदले ऐसी कई फसलें हैं जिन्हे कम पानी में तैयार किया जा सकता है। किसानों को इसके उत्पादन के बारे में जानकारी नहीं होने की वजह वे लाभ नहीं ले पाते। इसी समस्या को निराकरण करने के लिए उद्यानिकी विभाग की ओर से प्रदर्शन खेती कराई जाती है। इसी कड़ी में इस बार सुतर्रा गोठान जिला उद्यानिकी ने महिला समूह के सहयोग से पांच एकड़ भूमि में लेमन ग्रास की निश्शुल्क रोपाई की गई है। उद्यानिकी विभाग ने घास को धमतरी से मंगाया गया है। पांच एकड़ की खेती में एक लाख 12 हजार खर्च आया है। घास की विशेषता यह है कि एक बार लगाने के बाद यह पांच साल के लिए फिर रोपाई नहीं करनी पड़ती। घास की कटाई कर इसे सुखाया जाता है। सूखने पर इससे तेल निकाला जाता है। प्रति एकड़ तैयार घास से 20 लीटर तेल निकलता है। यानि पांच एकड़ में 200 लीटर तेल मिलेगा। प्रति लीटर तेल की कीमत खुले बाजार में 700 रूपये है। इससे किसानों को एक लाख 40 हजार प्राप्त होगा। कुल लागत एक लाख 12 हजार को प्राप्त बिक्री राशि से कम करने पर 28 हजार का लाभ होगा। पहले वर्ष की तुलना में दूसरे वर्ष उत्पाद अधिक होता है। किसानों को बिना रोपाई किए आगामी चार साल तक एक लाख 40 हजार से भी अधिक का लाभ होगा। विभागीय अधिकारी की माने तो लेमन ग्रास का उत्पादन खेतों के अलावा पड़त भूमि अथवा बाड़ी में भी की जा सकती है। मवेशी इसकी चराई नहीं करते ऐसे में इसकी सुरक्षा के अन्य फसल की तरह बाड़ लगानी नहीं पड़ती।
ग्रीन टी और आइसक्रीम फ्लेवर में आता है काम
उद्यानिकी विभाग के के अधिकारी आभा पाठक की माने तो इसका उपयोग सर्दी-जुकाम के लिए बनने वाली दवा में होता है। इसके अलाव लेमन ग्रीन टी के रूप मे होता है। इससे निकलने वाले तेल का उपयोग आइस क्रीम में नीबू की फ्लेवर के लिए किया जाता है। बाजार में इसकी खासी मांग होने के कारण जिला उद्यानिकी विभाग की ओर से इसे बढ़ावा दिया जा रहा है। गोठान से तैयार होने वाले उत्पाद के लिए शहर में सी-मार्ट खुलने से उत्पाद खपाने में समूह की महिलाओं समस्या नहीं होगी
सफल होने पर अन्य गोठानों में होगी रोपाई
गोठानों को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस कड़ी में उप्पादन लाभ महिला समूह को मिल सके इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। सुतर्रा में उत्पादन सफल होने पर आगामी वर्ष से इसे अन्य चुनिंदा गोठानों लगाने के लिए भी दिया जाएगा। धान के बदले अन्य फसल लगाने पर 10 हजार प्रोत्साहन राशि देने का शासन ने पहले ही प्राविधान बना रखा है। ऐसे लेमन ग्रास बोआई करने वाले किसानों के लिए यह अतिरिक्त लाभ होगा।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही महिला समूह
जिला उद्यानिकी विभाग की ओर से संचालित योजनाओं से गोठान की महिला समूह आत्मनिर्भरत की ओर बढ़ रही हैं। टपक विधि से सब्जी की व्यवसायिक पैमाने पर खेती कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रही हैं। अमरपुर, केराकछार, चिर्रा आदि ऐसे गोठान हैं जहां उद्यानिकी के तहत सब्जी के अलावा मसाले की खेती में मिर्च, हल्दी, आदि उपज अन्य महिला समूहों के लिए प्रेरणा बनी हुइ है। सब्जी के अलावा मौसमी फलों की भी रोपणी की जा रही है। इससे आने वाले दिनों में समूह को लाभ होगा।
वर्जन
सुतर्रा गोठान में लेमन ग्रास की खेती की जा रही है। कम पानी अधिक उत्पाद वाले फसल की दृष्टि से यह किसानों के लाभकारी है। एक बार रोपाई करने के बाद बार लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में किसानों को अधिक लागत नहीं लगता।
आभा पाठक, उप संचालक, उद्यानिकी