नईदुनिया प्रतिनिधि, कोरबा। कोरबा जिला खनिज न्यास मद (डीएमएफ) में करीब तीन करो़ड़ रुपये की गड़बड़ी की गायब फाइल का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल गया है। करीब 15 माह पहले भी तत्कालीन कलेक्टर ने इस मामले में जांच के लिए टीम का गठन किया था, पर आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई। तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर की गिरफ्तार के बाद प्रशासनिक स्तर पर इसकी जांच शुरू की गई है।
वर्ष 2021-22 में आदिवासी विकास विभाग में माया वारियर सहायक आयुक्त के पद पर पदस्थ थी। डीएमएफ के कार्यों की स्वीकृति के बदले 40 प्रतिशत कमीशन तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के लिए माया वसूला करती थी। डीएमएफ में अकेले कोरबा जिले में करीब 125 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का अनुमान है।
रानू साहू और माया वारीयर।
ईडी दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार कर जांच कर रही। पदस्थापना के दौरान वारियर ने केंद्र सरकार से अनुसूचित जिला कोरबा के पोस्टमैट्रिक अनुसूचित छात्रावासों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा था। छह करोड़ 56 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे।
इसमें तीन करोड़ रुपये सिविल वर्क पर खर्च किया जाना बताया गया। जबकि उन्हीं छात्रावासों में 34-34 लाख पृथक रुपये डीएमएफ से स्वीकृत कर दिया गया। इस तरह इस फंड से 1.80 करोड़ रुपये का भुगतान ठेकेदार को किया गया।
एक काम के लिए दो मद से राशि निकाले जाने के इस मामले की फाइल उस वक्त गायब मिली, जब ईडी की टीम कोरबा स्थित आदिवासी विकास विभाग के कार्यालय पहुंची। गायब कर दिए गए इस फाइल की जांच के लिए तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा ने एडीएम प्रदीप साहू की अगुवाई में टीम गठित किया था। 15 माह गुजर जाने के बाद भी इस मामले की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई।
इसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा और माया वारियर की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर वर्तमान कलेक्टर अजीत बसंत ने सात सदस्यीय टीम का गठन कर जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिए हैं।
टीम में दिनेश कुमार नाग, अपर कलेक्टर, कार्यपालन अभियंता, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल, परियोजना प्रशासक- सहायक आयक्त, आदिवासी विकास, जिला कोषालय अधिकारी के साथ आदिवासी विकास विभाग के कनिष्ठ लेखाधिकारी संतोष पटेल, सहायक अभियंता रेशमलाल धृतलहरे, एवं उप अभियंता ऋषिकेश बानी शामिल हैं।
केंद्र सरकार से मिली राशि से जिन 17 छात्रावासों का मरम्मत किया जाना था, उनमें मदनपुर, कोरकोमा, कुदमुरा, कोरबा, धनगांव, गोढी, कुदरमाल, पोड़ी-उपरोड़ा, सेनहा, कोरबी- चोटिया, सिंघिया, पसान, हरदीबाजार, करतला, रंजना व अरदा शामिल था।
इनमें से छह छात्रावासों के लिए 34-34 लाख की स्वीकृति दोबारा डीेएमएफ से प्रदान कर दी गई। सीधे तौर पर घोटाला सामने आ सकता था, इसलिए केंद्र सरकार के मद से कराए गए कार्यों की फाइल ही गायब कर दी गई। टेंडर, वर्कआर्डर, मेजरमेंट बुक सबकुछ गायब कर दिया गया है।