बागबाहरा। रथयात्रा का नाम सुनते ही हमारे आंखों के सामने भगवान जगन्नाथ की आकर्षक काष्ठ मूर्ति, साथ में भगवान बलभद्र एवं उनकी भगिनी माता सुभद्रा की काष्ठ मूर्ति जगन्नाथ पुरी के श्रीमंदिर में रत्न सिंहासन में विराजित छवि सामने आती है।
प्रति वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीय को पुरी में हर वर्ष आयोजित विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा का लोगों को प्रतीक्षा रहती है।
लेकिन रथ यात्रा प्रारंभ होने के पहले भगवान जिन परिस्थितियों से गुजरते हैं, यह पग-पग में हमारे लिए दिव्य संदेश है।
ग्रीन केयर सोसाइटी के प्रमुख विश्वनाथ पाणिग्रही ने कहा कि वर्तमान कोरोना संक्रमण काल में तो यह हमारे लिए राम बाण है जिसे वैज्ञानिक, डाक्टर्स, एक्सपर्ट भी भिन्न भिन्न नाम से सुझाते हैं। पाणिग्रही ने कहा कि शास्त्रोक्त एवं प्रचलित परंपरा एवं मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा याने स्नान पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ अधिक स्नान करने एवं बरसात के कारण बीमार हो जाते हैं।
इसके बाद भगवान जगन्नाथ 14 दिन एकांतवास (अनसर) पर चले जाते हैं। मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। इस एकांतवास से भगवान का यह संदेश है की बीमार होने पर स्वयं को लोगों से दूर कर लो, संक्रमण नहीं फैलेगा। यह आज की वैज्ञानिक भाषा में क्वारंटाइन है। इन 14 दिनों में भगवान जगन्नाथ को तुलसी, अदरक, कालीमिर्च एवं अनेक जड़ी बूटियां एवं आयुर्वेदिक दवाइयां पिलाई जाती है।
यह रोग प्रतिरोध शक्ति बढ़ाकर स्वस्थ होने का संदेश है। भगवान इन 14 दिनों तक पेट के बल सोते हैं यह आक्सीजन लेवल बढ़ाने का संदेश है। इसके बाद भगवान का नेत्र उत्सव अनुपालित होता है। भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होकर पहली बार अपने नेत्र खोलते हैं।
भगवान भक्त को एवं भक्त भगवान के दर्शन करते हैं। यह स्वस्थ एवं नव यौवन का संदेश है। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा रथ पर आरूढ़ होकर भक्तों को दर्शन देने भक्त के पास पहुंचते हैं। रथ चलने के पहले भगवान जगन्नाथ के प्रथम सेवक गजपति राजा छेरा-पहरा याने झाड़ू लगाते हैं।
वर्तमान में उनके प्रथम सेवक प्रतिनिधि पूरी के गजपति राजा दिव्य किशोर सिंह देव स्वयं सोने की झाड़ू से रथ के चारों ओर झाड़ू लगाकर स्वच्छता का संपूर्ण संदेश देते हैं।
अंकुरित मूंग चना का भोग चढ़ाया जाता है जो कि इम्युनिटी बढ़ाने का संदेश है। रथ चलने पर भगवान जगन्नाथ अपने प्रिय भक्त साल बैग को सम्मान देने कुछ देर साल बैग की समाधी के पास रुकते हैं। सभी जाति धर्म संप्रदाय के लोगों को सम दृष्टि के साथ दर्शन देते हैं। उनके पास ऊंच नीच भेदभाव का कोई स्थान नहीं है।
कोरोना काल मे कोरोना गाइड लाइन का संदेश जो हमने अब समझा यह रथयात्रा का पूरा पर्व अरसे से बता रहा है।
काढ़ा के सेवन से भगवान जगन्नाथ स्वस्थ, मनाया नेत्रोत्सव
सप्ताहभर तक औषधियुक्त काढ़े के सेवन से हुए उपचार के बाद भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व बड़े भैय्या बलदाऊ स्वस्थ हो गए हैं। रविवार सुबह पांच बजे तीनों को स्नान कराकर नेत्रोत्सव पर्व मनाकर मंगला आरती कर मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं। सोमवार को मंदिर के पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे।
सोमवार सुबह उनके स्नान के बाद मंगला आरती की जाएगी और फिर भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे जहां दोपहर तक भगवान के दर्शन भक्त कर पाएंगे। इसके बाद वे नगर भ्रमण के लिए रथ पर सवार होकर निकल जाएंगे।
श्रीराम मंदिर समिति ने रथयात्रा को लेकर तैयारी पूरी कर ली है। यात्रा के दौरान इस बार वे भक्तों के घर में रुकने के बजाय सीधे मंदिर पहुंचेंगे, जहां पर उनके विश्राम के लिए बनाए गए गुंडिचा मंडप में विश्राम करेंगे। कोरोना संक्रमण के चलते समिति ने इस बार भी भगवान को घरों में विश्राम करने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है।
बता दें कि 15 दिन पूर्व भक्तों के अधिक स्नान कराए जाने से भगवान जगन्नाथ बीमार हो गए थे। मंदिर के पुजारी शास्त्री नारायण दास वैष्णव ने बताया कि परंपराओं के अनुसार औषधियुक्त काढ़े के सेवन के बाद वे पूरी तरह से स्वस्थ हो गए और सोमवार को वे भक्तों को दर्शन देंगे। वहीं सोमवार को ग्राम विरकोनी में भी रथयात्रा निकाली जाएगी।
दो साल बाद निकलेगी रथयात्रा
कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले दो सालों से रथयात्रा महासमुंद शहर में नहीं निकाली जा सकी है। हालांकि इस बार शासन ने यात्रा के लिए अनुमति दे दी है। मंदिर समिति ने इसके लिए तैयारी भी कर ली है। रथ दोपहर दो बजे श्रीराम मंदिर से निकलकर गांधी चौक, नेहरु चौक, अंबेडकर चोक, विठोबा टाकिज होते हुए फिर से मंदिर परिसर पहुंचेगी। परिसर के प्रथम तल पर स्थित हाल में उनके विश्राम के लिए गुंडिचा मंडप बनाया गया है। यहां भगवान 11 दिन तक विराजमान रहेंगे।
तैयार हो रहा गजा मूंग का प्रसाद
यात्रा के दौरान भक्तों में वितरण के लिए मंदिर समिति द्वारा गजा मूंग का प्रसाद तैयार किया जा रहा है। समिति अध्यक्ष वीरेंद्र चंद्राकर ने बताया कि छह क्विंटल गंजा मूंग का प्रसाद तैयार किया जा रहा है। जिसका वितरण सुबह मंदिर में और दोपहर यात्रा के दौरान भक्तों को किया जाएगा।
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