महासमुंद। नईदुनिया प्रतिनिधि
जिला अस्पताल में क्षय रोग के जीवाणु की जांच के लिए दिसंबर महीने से नई मशीन लाई गई है, जिसका लाभ क्षय रोग की जांच के लिए आ रहे लोगों को मिल रहा है। 36 लाख रुपये की सीबीनाट मशीन की खासियत यह है कि एक एमएल बलगम में क्षय रोग के 333 जीवाणु तक देख लिया जा रहा है, जबकि पुराने मॉइक्रोस्कोप मशीन से एक एमएल बलगम में 75 हजार जीवाणु होने पर क्षय रोग का उपचार शुरू होता था। बताया गया है कि इस मशीन की और कई खासियत है जिसमें कार्टेज के बलगम लेकर मशीन में रखने पर टीबी पॉजीटिव, निगेटिव बताने के साथ ही यदि पॉजीटिव पाया जाता है कि उस जीवाणु से रोगोपचार के लिए रिफार्मपिसिंग दवाई उपयुक्त है या नहीं यह भी बताता है। टीबी पॉजीटिव आने पर मशीन से रोग सामान्य है या गंभीर यह भी पता लग रहा है, जिससे उसका उपचार किस क्षमता की दवाई व कितने समय के लिए किया जान है पता लग रहा है।
बता दें कि प्रत्येक जांच के लिए एक कार्टेज लगता है। एक बार में मशीन चार कार्टेज का परीक्षण करता है। परीक्षण के लिए 1 घंटा 50 मिनट लगता है। एक कार्टेज पर जांच का खर्च 42 सौ रुपये आता है, जो शासन की ओर से पूर्णतः निःशुल्क है।
तीन महीने में 590 लोगाों की हुई जांच
क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में लगे टेक्नीशियन की मानें तो सीबीनाट मशीन से जनवरी, फरवरी और मार्च महीने के 20 तारीख तक 590 लोगों के बलगम की जांच की गई, जिसमें 111 सामान्य क्षय रोगी सामने आए, जिनका उपचार प्रारंभ किया गया है। वहीं चार लोग गंभीर रूप से क्षय रोगी के तौर पर सामने आए। इनका उपचार भी जारी है। सामान्य रोगी को छह से आठ महीने की नियमित दवा लेना होता है। गंभीर एमडीआर मरीजों के लिए 24 महीने तक नियमित दवा लेना होता है। बता दें सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच से लेकर दवा तक सब मुफ्त हैं। जानकारी अनुसार सामान्य मरीज की जांच से लेकर दवा तक में प्रति मरीज सरकार 30 से 35 हजार खर्च करती है। यदि मरीज गंभीर एमडीआर है। तो उपचार में 10 लाख रुपये के खर्च आते हैं, जो सरकार वहन करती है।
1116 मरीज हुए रोगममुक्त, 1301 का उपचार जारी
वर्ष 2016-17 सत्र के 1232 मरीजों में से 1116 मरीजों ने नियमित दवा सेवन कर रोग पर पूर्णतः विजय पा ली है। ये लोग रोगमुक्त हो चुके हैं। जबकि मौजूदा सत्र में 1301 मरीजों का उपचार जारी है। इनमें 13 मरीज गंभीर हैं जिन्हें एमडीआर श्रेणी में रखा गया है। मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की देखरेख में ऐसे मरीजों को नियमित दवाएं दी जा रही है।
हाईटेक सुविधा से जांच के लिए पहुंच रहे लोग
एक समय था जब लोग लोकलाज के भय से अपने रोग छिपाया करते थे, लेकिन शिक्षा के प्रचार से लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं। पुराने मशीन से जहां कारगर रिजल्ट नहीं आ पाते थे, वहीं अब सीबीनाट मशीन से कार्टेज बेस्ड न्यूक्लिक एसीड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट किए जा रहे हैं। लिहाजा एक एमएल में 333 जीवाणु होने पर रिपोर्ट पॉजीटिव आ रही है और त्वरित उपचार प्रारंभ हो रहा है। हाईटेक जांच सुविधा से स्थिति यह है कि निजी अस्पताल के चिकित्सक भी संदेह की स्थिति में मरीजों को जांच के लिए जिला अस्पताल स्थित क्षय विभाग भेज रहे हैं।
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