नईदुनिया न्यूज नारायणपुर: बंदूक छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ा तो अन्नुलाल की जिंदगी ही बदल गई। दरअसल नारायणपुर जिले के अबूझमाड क्षेत्र सोनपुर निवासी अन्नूलाल भंडारी (40) पहले माओवादी गतिविधियों में सम्मिलित थे, लेकिन जब उन्हें सरकार द्वारा नक्सल क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति की जानकारी मिली, तब से उन्होंने पुनर्वास नीति योजना का लाभ लिया।
मुख्यमंत्री राहत एवं पुनर्वास नीति योजना के तहत अब वे कौशल विकास के तहत जिले में संचालित लाइवलीहुड कॉलेज में प्लंबर का प्रशिक्षण ले रहे हैं। अन्नुलाल भंडारी बताते हैं कि 1998 में जब माओवाद हिंसा जब अपने चरम पर था, उस दौरान उनके दबाव के कारण मैंने नक्सल संगठन को ज्वाइन किया। वहां पर मेरा काम माओवादी संगठन का प्रसार-प्रसार करना एवं उनके रहने खाने तथा बैठने की व्यवस्था करना था। कुछ समय बाद मुझे कुछ समय बाद मुझे 25 दिवसीय गुरिल्लावार का प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें मुझे बंदूक चलाना एवं बनाना, लडाई के समय बचना तथा फायरिंग करना सिखाया जाता था।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नक्सल क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से माओवादी आत्मसमर्पण पीड़ित राहत एवं पुनर्वास नीति 2025 लागू की है। इस नीति के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने वाले सक्रिय इनामी माओवादी और उनके परिवारजनों को शिक्षा, रोजगार एवं वित्तीय सहायता जैसी कई महत्वपूर्ण सुविधाएं प्रदान की जा रही है।
अन्नुलाल भंडारी का कहना है कि 2025 में मुझे मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के विषय में पता चला। तब मैंने नारायणपुर मुख्यालय आकर जिला परियोजना लाइवलीहुड कालेज में जल वितरक संचालक कोर्स में प्रशिक्षण प्राप्त करने लगा। प्रशिक्षण में विषय वस्तु के अलावा मुझे व्यवहारिक ज्ञान, खेलखुद, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं शासन की विभिन्न योजनाओं जैसे, आवास, आयुष्मान, किसान क्रेडिट कार्ड एवं अन्य योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हुआ। प्रशिक्षण के उपरांत मैं ग्राम पंचायत सोनपुर में जल वितरक के रूप में कार्य कर अपनी आर्थिक व सामाजिक स्थितियों को और बेहतर करूंगा।
अन्नूलाल भंडारी ने बताया कि माओवादी संगठन से जुड़ने के बाद एक जंगल से दूसरे जंगल और एक गांव से दूसरे गव घूमना पड़ता था। 2017 में घर परिवार और शासन के नीतियों के तहत मैंने पुनर्वास कर लिया। संगठन में 20 सालों से जुड़े होने के दौरान डर के साए में जीवन यापन होता था। 2017 में मैंने पुनर्वास कर लिया, तत्पश्चात मैने अच्छे जीवन के उद्देश्य से अपनी पुश्तैनी जमीन पर कृषि कार्य करने लगा और मुख्यधारा में जुड़ गया, जिससे मेरे जीवन में मूलभूत परिवर्तन होने लगा। अब मैं स्वतंत्रापूर्ण बाहरी दुनिया से जुड़ने लगा।