गौतम गोलछा 0 नारायणपुर। जिले के किसानों के पैक हाउस के नाम पर मिली सब्सिडी को बिना पैक हाउस बनाये ही उद्यानिकी विभाग ने किसानों के खाते से सब्सिडी की राशि उड़ा ली। मिली जानकारी के अनुसार उद्यानिकी विभाग द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए नारायणपुर जिले में 75 हितग्राहियों का पैक हाउस बनाने का लक्ष्य था और 30 हाउस पूर्ण बताकर 60 लाख की राशि का भुगतान कर दिया गया। जबकि 15 हितग्राहीयों का दावा है कि हमारे खेत में इस वर्ष या पिछले वर्ष कोई भी पैक हाउस नही बना। तीन- चार वर्ष पूर्व बने पैक हाउस का प्राकलन लगा कर राशि निकाल ली गई।
किसानों का कहना है कि तत्कालीन वर्ष में उद्यानिकी विभाग द्वारा हमारे खेतों में पैक हाउस बनाने हेतु प्राकलन बनवाया गया था व हमसे इस एव में ब्लैंक चेक लिया गया था। लेकिन बिना पैक हाउस बनाए ही कुछ दिन पहले हमारे खाते में शासन से सब्सिडी की राशि आई और आधे घंटे में ही पूरी राशि किसी ठेकेदार के नाम ट्रांसफ़र भी हो गई। विभाग के अधिकारी से चर्चा करने पर गोल मटोल जवाब दिया जा रहा है।
कुढारगांव के गौतम, कोंगेरा की रूपती, कोलियारी से राजमन, तारागांव से खेमचंद, लक्ष्मण बोरंड, हरेकृष्णा केरलापाल, लालूराम दण्डवन, रामू पुसागांव, कपिल मरदेल आदि से चर्चा करने पर इन्होंने स्वीकार किया कि हमारा तीन-चार वर्ष पुराना व जर्जर पैक हाउस था। हमें सूचना दिए बिना इसकी राशि हमारे खाते में डाल कर तुरंत ट्रांसफ़र कर लिया गया। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत किसानों को पैक हाउस बनाने के लिए 50 फीसद सब्सिडी दी जाती है। किसानों के उत्थान के लिए यह योजना चलाई जा रही है। इसके तहत खेत में एक कमरा बनाया जाता है ताकि किसान अपनी सब्जियां व फल उसमें रख सकें व धूप से उनके उत्पाद सुरक्षित रहें।
क्या है सब्सिडी का नियम
जानकार बताते हैं कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के मुताबिक 9-6 मीटर का पक्का कमरा बनाया जाएगा जिसकी अनुमानित लागत करीब 4 लाख रुपए आंकी गई है। इसके बाद किसान अधिकृत सिविल इंजीनियर से ये प्रमाणित करवाएगा कि उसने नियमों के तहत उक्त पैक हाउस बनाया है। इसके बाद वह बिल उद्यानिकी विभाग में जमा होगा और वहां से दो लाख रुपए की सब्सिडी किसान के खाते में ट्रांसफर होगी।
जिले के उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा इस स्कीम के लिए किसानों का चयन किया गया। इसके माध्यम से किसान के खेत में एक टीन का शेड लगा दिया जाता है जिसकी एवज में किसान से एडवांस चेक दो लाख रुपए का पहले ही ले लिया गया। इसके बाद अधिकृत इंजीनियर से प्रमाणिकरण करवाया गया कि वहां पक्का पैक हाउस बना है। इसके बाद उसी प्रमाणिकरण के आधार पर दो लाख रुपए की किसान के खाते में डाल दी गई।