
रायगढ़ (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में मार्च माह में सूरज की बढ़ने लगीं है। दोपहर में गर्मी चुभने लगी है। वहीं गर्मी बढ़ने के साथ ही भूजलस्तर गिरने लगा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही शहर समेत ग्रामीण अंचल की तालाब सूखने लगी हैं। शहर व ग्रामीण अंचल के कई तालाब में वर्तमान स्थिति तक निस्तारण का कार्य होता है, परंतु जलस्तर कम होने की वजह से निस्तारी के लिए भी जल नही है। वही दूसरी ओर रबी सीजन के लिए खेतों में लगी फसलों की सिंचाई लगातार हो रही है। यही हाल उद्योग जगत में भी है। फसल व उद्योग के लिए बोर पंप से भूजल दोहन किए जाने से भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। भूजल स्तर गिरने का आंकलन करने पर देखा जाए तो पहले जिस हैंडपंप पर 70 फीट में पानी था अब 90 से 100 व 120 फीट के करीब पहुंच गया है, कई स्थानों में 150 फिट तक पानी लेवल में नही आ पा रही है। अलबत्ता इससे जिले में जल संकट देखने को मिल रहा है। वर्तमान में जलसंकट एवं गिरते जलस्तर की वजह से समय से पहले ही तालाब,कुआं और ढोढ़ी जैसे पारंपरिक जलस्त्रोत जवाब देने लगे हैं।
इससे खेत और कंठ दोनो प्यासे रहने को मजबूर हो रहे है। जानकारों के मुताबिक अप्रेल के अंतिम दिन एवं मई के मध्य में यह समस्या विकराल रूप ले सकती हैं अगर समय रहते जिला प्रशासन व अन्य जिम्मेदार विभाग इसकी सुध नहीं ली है तो लोगों को आने वाले दिनों में बूंद बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ सकता है।
नदी- तालाब सूखने लगी, निस्तारी की समस्या
शहर की लाइफ लाइन जीवनदायिनी केलो नदी को कहा जाता है। जिसमें बांध बनने की वजह से यहां पानी नाले की तरह बहाव हो रही है जो एक दौर में अविरलता से बहकर लोग और खेत की प्यास बुझाती थी। अब यह नदी नाले की तर्ज पर दिखाई देती है। वही ग्रामीण अंचल में गर्मी से पहले तालाबों ,झील ,डबरी ,तक को अपने गिरफ्त में ले लिया है । इन जलस्त्रोंतों के सूखने के कारण आसपास के गांवों का भू-जल स्तर नीचे गिर रहा है, अगर यही हाल रहा तो अप्रैल मई माह में जलसंकट की भयावह स्थिति हो सकती है ।
भूजल दोहन और बोर खनन पर नही है लगाम
उद्योगों द्वारा धड़ल्ले से भूजल का दोहन किया जा रहा है।बिना अनुमति के 6 से 12 इंच तक का बोर खोदकर भूमिगत जल का दोहन किया जाता है।गाहे बगाहे इसकी शिकायत भी मिलती है। इस करण जलस्तर गिर रहा है। मगर जिला प्रशासन व संबंधित विभाग कभी भी जल स्तर नियंत्रित करने औद्योगिक परिसरों की जांच नहीं करता, इसके चलते जल संकट समस्या हर साल बढ़ रही है।
वर्जन
भूजल के गिरने की वजह कई वजह है।इससे इसका असर लोगो के दिनचर्या में भी पड़ेगा वही इसकी प्रमुख वजह वैश्विक तापमान में वृद्घि होना, अत्यधिक मात्रा में बोर ,नलकूप उत्खनन ,बढ़ती हुई जनसंख्या, जल संसाधनों का अत्यधिक उपयोग करना, उचित जल प्रबंधन की कमी, बदलती जीवनशैली एवं पर्यावरण का ह्रास जिसमें बेहिसाब पेड़ पौधे जंगल को अधोसंरचना के लिए उजाड़ा जा रहा है। भूजल स्तर को बनाये रखने के लिए सरकारी तौर में कई योजन चल रही है,इसे आम जनता को भी जीवनशैली में अनुसरण करना पड़ेगा तब कही जाकर जल संकट को भविष्य में रोका जा सकता है।
-डा गजेंद्र चक्रधारी,
विभागाध्यक्ष भूगोल
बटमूल आश्रम कालेज महापल्ली
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