
घरघोड़ा(नईदुनिया न्यूज)। कोयलांचल उपक्षेत्र बरौद जामपाली और बिजारी से उत्पादित कोयले को कारीछापर रेलवे साइडिंग तक बरघाट के रास्ते भारी-भरकम कोयला लदी वाहनों के निरंतर चलते रहने से राज्य मार्ग की सड़क बद से बदतर होते चली जा रही है । वहीं दूसरी ओर भारी वाहनों के चलने से उड़ते धूल डस्ट से कुडुमकेला, अवरामुड़ा, बरघाट व फगुरम के निवासियों व सड़क मार्ग से आवाजाही करने वाले राहगीरों दुपहिये वाहन चालकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कोयला खदानों से कारीछापर रेलवे साइडिंग तक चलने वाली कोयला लदी वाहनों के रफ्तार से एक तो दुघ्टना की आशंका बनी रहती है तो दूसरी ओर ओव्हरलोड वाहनों से रास्ते भर गिरते कोयले से सड़क पर दूसरी ओर से आती वाहनों के चक्को से गिरे कोयले चुर्ण बनते चले जाते हैं। जिससे उड़ते धूल राहगीरों के शरीर और खासकर आंखों में विपरीत प्रभाव से अनेको बीमारियां भी घर करते जा रही है । नाक की सफाई करते वक्त काली डस्ट आती है। सफेद कपड़ो का रंग बदरंग होते चली जा रही है पीने योग्य शुद्ध पेयजल दुर्लभ है। कालोनी की पानी टंकियों में डस्ट जमे हुए हैं।
बरघाट सबसे प्रदूषित
बरौद उपक्षेत्र बिजारी व जामपाली से चलने वाली कोयला लदी, भारी-भरकम वाहनों के दिन रात प्रचालन से मुख्य सड़क अत्यंत ही जर्जर होते चली जा रही है । धूल और कोयले के काले गुब्बार से खासकर दुपहिया वाहन चालकों का बरघाट कारीछापर रेलवे साइडिंग मोड़ टेरम घरघोड़ा मार्ग अत्यंत कष्ट कारण दुर्घटना जनित और परेशान करने वाली सड़क बन चुकी है। इस उपक्षेत्र में सबसे प्रदूषित जगह बरघाट व टेरम ग्राम है। यहां के रहवासियों व सड़क मार्ग में बसे व्यवसायियों का जीवन जीना दूभर हो चला है।