रायगढ़ (निप्र)। मदर्स डे के मौके रविवार को पूरे देश भर में लोगों ने अपनी मां का नमन किया गया। मौके पर लोगों ने मां की तुलना भगवान से की और कहा कि मां की महानता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। इस मौके पर नईदुनिया ने शहर के कुछ लोगों से चर्चा कर उनकी जिंदगी में मां की भूमिका जानने की कोशिश की।
मां शब्द अतुलनीय
मां शब्द ही ऐसा है जिसकी तुलना की ही नहीं जा सकती है। मां शब्द में सारी श्रृष्टि समाई होती है। बचपन से लेकर आज तक मां अपनी आंचल तले छुपा लेती है तब सारे दुख एकपल में खत्म हो जाती है। मां आज भी मेरे लिए वही मां जब उसकी उंगली पकड़ कर चलता था और उसके सीने से लिपटकर किसी चीज के लिए जिद करता था। मेरी मां को मैं दुनिया की सबसे अलबेली मां मानता हूं उसने दुनिया में कदम रखने से लेकर आज तक जो संस्कार दिए हैं। वह संस्कार किसी दुकान में नहीं मिल सकती है। लेकिन आज बाजार वाद में मां को भी लाकर खड़ा कर दिया है। मेरा मतलब है मदरर्स डे मनाने को लेकर बाजार में तरह-तरह के गिफ्ट ग्रिटिंग कार्ड आदि। मदर्स डे को लेकर भावनात्मक रुप से आज बाजार में करोड़ों अरबों का व्यवसाय हो जाता है। तो क्या मां की तुलना एक ग्रिटिंग या एक छोटे से गिफ्ट से किया जा सकता है। यह आज के युवा वर्ग को सोचना होगा।
कल्पेश अग्रवाल मां संजू अग्रवाल
लाल टंकी निवासी
मां को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता
मां वह ममता होती है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। मां जिसने जन्म दिया जिसने दुनिया दिखाई दुनियादारी सिखाई जिसने हर सुख दुख पर हमारा साथ दिया। जिसने हंसना, बोलना सिखाया। उस मां को मैं सादर प्रणाम करता हूं सिर्फ आज ही के दिन नहीं वरन हर दिन मां को प्रणाम है। मां वह है जो हमें कभी किसी चीज के लिए नहीं बोलती है। जो मांगा दिया मां हमारे लिए पता नहीं कितना दुख तकलीफ सहती होगी। यह हम एहसास भी नहीं कर सकते हैं। हमारी छोटी से छोटी कामना को पूरा करती है। मैं यही चाहूंगाा कि आगे चलकर मां की हर छोटी से छोटी कामना को पूरा सकूं।
तापस गोयल
केवड़ाबाड़ी चौक
मां की कमी कोई पूरा नहीं कर सकता
मां एक ऐसी ममता का रूप है करुणा की सागर है जिसे दूसरा पूरा नहीं कर सकता है। मां की ममता को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मैने अपनी मां से जो संस्कार सीखे हैं वह अपनी बेटी में देखना चाहती हॅू। बचपन में मां ने कितने कष्ट झेलकर हमें बड़ा किया होगा आज मां बनने के बाद पता चलता है। मां हमेशा पूजनीय है और रहेगी। मां को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है और न ही मां शब्द की व्याख्या की जा सकती हैं
संगीता-रिसिका दयाल
स्थानीय निवासी
मां करुणा का सागर है
मां करुणा की सागर है जिसे कोई समझ नहीं सकता है सिवाय एक मां के, मां शब्द में ही दुनिया समाई हुई है। जिसे समझना होगा। मां शब्द की व्याख्या नहीं की जा सकती है और न ही उसके परिभाषित किया जा सकता है। वैसे मां का प्यार त्याग, तपस्या और बलिदान पर होता है जिसे कोई दूसरा नहीं समझ सकता है। भले ही आज मदर्स डे मनाने की परंपरा हो चली है लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति ऐसा नहीं कहती है हमारी संस्कृति में मां हर दिन पूजनीय है।
लक्ष्मी अग्रवाल
निवासी कोतरा रोड
मां अनमोल
मां अनमोल है जिसकी कोई मोल हो नहीं सकती है। दुनिया के किसी बाजार में मां नहीं मिलती है। मां ममता का वह रूप है जिसके आंचल में सारी जहां की खुशियां होती है। उस खुशी को बाजार में खरीदा नहीं जा सकता है। मां के लिए उसके बच्चों से बढ़कर कोई दुसरी खुशी नहीं होती है।
ममता-आर्ची सांवड़िया
स्थानीय निवासी
मां जैसी दूसरी कोई नहीं
मां जैसी दूसरी दुनिया में कोई नहीं हो सकती है। मां के बोल में दुलार, ममता होती है वह दूसरे कहीं प्राप्त नहीं किया जा सकता है। मां की ममता को बाजार की एक ग्रिटिंग से तौला नहीं जा सकता है जैसा कि आज कल मदर्स डे को लेकर चलन निकल पड़ा है। मां की ममता से बढ़कर कुछ नहीं होता है उसकी ममता में दया, करुणा प्यार होता है जो दुनिया की राह दिखाता है।
रंजना-शिनि अग्रवाल
स्थानीय निवासी
मां को समझ पाना टेढ़ी खीर
मां क्या होती है समझ पानी बहुत मुश्किल होता है। मैं भले ही आज मां बन चुकी हूं लेकिन आज भी अपनी मां के मामता को याद करती हूं तो सिरहन पैदा हो जाती है। उसकी डांट में भी ममता होती थी। बचपन में न जाने क्या-क्या फरमाइश किया करते थे और इधर मुंह से निकला और उघर पूरा हुआ मैंने जो संस्कार अपनी मां से पाए हैं उसकी बदौलत मैं अपने ससुराल में सबसे दुलार व प्यार पाती हूं और वही संस्कार में अपने बच्चों में देना चाहती हूं।
रुचि अग्रवाल
गृहणी