Rail stop movement: रायगढ़ । कोरोना काल में बंद की गई यात्री ट्रेनों और पिछले कई माह से रद ट्रेनों को पुन: परिचालन की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी से जुड़े संगठन एनएसयूआई के पदाध्ािकारियों और कार्यकर्ताओं रेल रोको आंदोलन किया। आंदोलन को स्थानीय लोगों के साथ-साथ सामाजिक संस्था और अन्य संगठनों का सहयोग मिला। आंदोलन को लेकर सुरक्षा की ठोस व्यवस्था की गई थी। रेलवे स्टेशन में आंदोलनकारियों ने जमकर नारेबाजी की। स्थानीय सांसद पर निष्क्रियता एवं रेलवे प्रबंधन पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। आरपीएफ और जीआरपी पुलिस ने काफी मशक्कत और समझाइश के बाद रेलवे ट्रेक को खाली कराया। इसके बाद भी उनका प्रदर्शन चलता रहा। देर शाम व्यवस्था में शीघ्ा्र सुधार के आश्वासन पर आंदोलन खत्म हुआ।
सप्ताह भर पहले एनएसयूआई ने स्टेशन प्रबंधक को आंदोलन किए जाने की सूचना दी थीी। बताया था कि हावड़ा-मुम्बई रूट को लेकर रायगढ़ बिलासपुर, कटनी, रायपुर नागपुर दोनों दिशा में चलने वाली यात्री ट्रेनें पैसेंजर हो या एक्सप्रेस, सुपर फास्ट एक्सप्रेस सभी ट्रेन लगातार 4-5 घण्टे लेट चल रही है। इसका एक मात्र कारण है कि रेलवे के द्वारा व्यापारीकरण है। रेलवे प्रबंधन की प्राथमिकता कोयले का परिवहन है। प्रबंधन माल परिवहन को प्राथमिकता दे रहा है। यह यात्रियों के साथ अन्याय है। रेलवे विभाग स्वयं ही रेलवे को बर्बाद करने में लगी है। आम जनता का रेलवे के ऊपर विश्वास खत्म होता जा रहा है साथ ही वो इस लेट लतीफी और केंसिल किये जाने से काफी आक्रोशित है। इन समस्याओं को दूर करने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि ट्रेनों की लेटलतीफी को रोके अन्यथा उग्र आंदोलन किया जाएगा। इसके बावजूद ट्रेनों की चाल नहीं सुधरी इसे देखते हुए सोमवार को आंदोलन का आगाज करते हुए स्टेशन परिसर से लेकर ट्रेक में जमकर प्रदर्शन होता रहा।
आरपीएफ और जीआरपी पुलिस आंदोलन कारियो को समझाइश देती रही लेकिन इसका उन पर नहीं पड़ा और अंतत: दो से अधिक घंटे के प्रदर्शन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ।