
रायगढ़। नईदुनिया प्रतिनिधि
नियमितीकरण के सख्त नियमों के कारण जिले में आए ज्यादातर आवेदन खारिज हो गए हैं। साल भर पहले ही बंद हुई इस योजना में लंबित आवेदनों में दो दिन पहले ही समिति ने फैसला लिया है और इसी के साथ जिले में दो सालों में आए कुल 1215 आवेदनों में से 270 भवनों का ही नियमितीकरण हो सका है।
प्रशासन से बिना अनुमति लिए कराए गए निर्माण को अवैध से वैध कराने के लिए नियमितीकरण योजना लाई गई थी। अगस्त 2016 में आई इस योजना के लिए शुरूआत में जमकर प्रचार प्रसार किया गया और लोगों को नियमितीकरण के लिए निर्धारित प्रारूप में आवेदन कर शासन से निर्माण को अनुमति जारी करने की अपील की गई थी लेकिन नियमितीकरण की यह योजना फ्लाप हो गई। दरअसल इसके लिए शासन ने जो नियम कानून शर्तें बनाई थी। उसके अनुसार शहर में ही 90 प्रतिशत से ज्यादा निर्माण इससे बाहर हो जा रहे थे। इसलिए शुरूआत में लोगों ने भी रूचि नहीं दिखाई और टाउन कंट्री प्लानिंग व निकायों के पास आवेदन ही नहीं आ रहे थे। प्रशासन ने जब इसके लिए शिविर लगाकर आवेदन लेना शुरू किया। तो नियमितीकरण के आवेदनों की संख्या बढ़ गई और साल भर में करीब 1215 आवेदन आ भी गए। समय समय पर जिला स्तरीय समिति बैठक लेकर इसमें से स्वीकृति भी जारी करती रही लेकिन इसमें कुल 302 आवेदनों का निराकरण नहीं हुआ था। इस बात को लेकर चीफ सेक्रेटरी ने भी नाराजगी जताई थी। जिसके बाद इसी हफ्ते हुई बैठक में नियमितीकरण के लंबित 302 मामलों में से 24 में ही भवन निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई है और नियमितीकरण किया गया है।
मास्टर प्लान बना था रोड़ा
नियमितीकरण के लिए शहर के आलोक सिटी माल, ग्रांड म़ाल जैसे बड़े प्रतिष्ठानों ने भी आवेदन दिया था लेकिन शहर के मास्टर प्लान में शहर की चौड़ाई और उक्त व्यवसायिक निर्माण में सड़क की चौड़ाई में काफी अंतर आ रहा था। जिसके कारण ऐसे व्यवसायिक अवैध निर्माण वाले आवेदन पहले ही खारिज हो गए और फिर आगे जाकर लोगों से आवेदन भी नहीं आए।
पौने 6 करोड़ वसूला अर्थदंड
नियमितीकरण योजना साल भर पहले ही समाप्त हो गई है लेकिन पूर्व में आए आवेदनों का निराकरण जारी था। योजना के अनुसार अवैध से वैध निर्माण करने के लिए प्रति वर्गफिट के हिसाब से दरें तय थी। इसी अर्थदंड मद में प्रशासन को करीब 5 करोड़ 80 लाख रूपए से अधिक का अर्थदंड मिला है। इसमें ज्यादातर राशि जेएसपीएल पर लगी पेनाल्टी से मिली है।
रेणुजोगी का भी मकान हुआ अवैध
शहर के बायपास रोड में अनुषा विला के नाम से पूर्व सीएम अजीत जोगी ने बंगला बनवाया था। उक्त मकान रेणु जोगी के नाम से है लेकिन पूर्व में बिना परमिशन के बने इस मकान के नियमितीकरण के आवेदन को जिला स्तरीय समिति ने निरस्त कर दिया है और मुख्य सड़क से घर की दूरी, सड़क की चौड़ाई व मास्टर प्लान के कारण इसे निरस्त कर दिया है।
नियमितीकरण में जिले में अब तक आए 1215 आवेदनों का निराकरण कर दिया गया है। अब कोई मामला लंबित नहीं है। मास्टर प्लान में सड़क की चौड़ाई और नियमितीकरण की गाइडलाइन के ्रपावाधान लागू करने के कारण ज्यादातर आवेदन खारिज हो गए हैं लेकिन इससे करीब पौने 6 करोड़ रूपए का अर्थदंड भी मिला है।
आरएन प्रसाद, डिप्टी डायरेक्टर, टाउन कंट्री प्लानिंग
