फैक्ट फाइल
102- 350 एंबुलेंस
- गर्भवती महिलाओं, बच्चों को अस्पताल पहुंचाती है, घर तक छोड़ती है। इससे मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी आई है।
108- 450 एंबुलेंस
- किसी भी बीमारी से पीड़ित मरीज को अस्पताल पहुंचाना, सड़क हादसों में हजारों घायलों की जान बचाई गई है।
---------------------
00- सरकार का रुख फिलहाल स्पष्ट नहीं, स्वास्थ्य संचालक ने कहा- बातचीत जारी है
00- 2010 से संचालित है सेवा, तीन महीने बाद एक बार फिर आमने-सामने आ चुके हैं कर्मचारी संघ और जीवीके-एमआरआई प्रबंधन
रायपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
प्रदेश की लाइफ लाइन कही जाने वाली 102, 108 एंबुलेंस के पहिए पांच अप्रैल से थम सकते हैं। छग संजीवनी 108/102 कर्मचारी कल्याण संघ ने एंबुलेंस संचालनक कंपनी जीवीके-ईएमआरआई, सरकार को इसका अल्टीमेटम दे दिया है। अब निर्णय सरकार को लेना है की क्या वह मांग मनेगी? गौरतलब है की संघ 46 वेतन में 46 फीसदी वृद्धि चाहता है, संचालन कंपनी का कहना है की वह 10 फीसद वृद्धि पहले ही कर चुका है, आगे का निर्णय सरकार को लेना है। जीवीके ने तो यहां तक कह दिया है कि वह इन परिस्थितियों में संचालन नहीं कर सकता। उसने स्वास्थ्य विभाग को लिखकर भी दे दिया है की वे चाहें तो फिर से टेंडर कर सकते हैं। ऐसे में प्रदेश की सवा दो करोड़ जनता को तुरंत मिलने वाली चिकित्सकीय सेवा प्रभावित हो सकती है। बता दें कि कर्मचारी संघ श्रम विभाग के आदेशानुसार 46 फीसद वेतन वृद्धि की मांग पर अड़ा हुआ है।
'नईदुनिया' पड़ताल में सामने आया की बीते 12 महीने से इस पर चर्चा के तमाम दौर चले। जीवीके के हैदराबाद मुख्यालय से आला अधिकारी आए, स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से मुलाकात की।अपन पक्ष भी रखा। बताया की कंपनी वेतनवृद्धि नहीं कर सकती, लेकिन कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है। इस संस्था द्वारा 800 एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है, जिसमें करीब 25 सौ कर्मचारी सेवाएं दें रहे हैं।
ये हैं मांगें
1- ठेका प्रथाम मुक्त कर कर्मचारियों को शासन के अधीनस्थ कार्य करवाएं।
2- अप्रैल 2017 से वृद्धि किया गया न्यूनतम मजदूर लागू कर एरियस सहित भुगतान किया जाए।
3- श्रम अधिनियम के अनुसार कार्यवृद्धि निर्धारित कर अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त भक्ता दिया जाए।
4- कर्मचारियों की समस्याओं का उचित निराकरण के लिए शासन स्तर पर विशेष कमेटी गठित की जाए।
5- वेतनमान निश्चित समय पर दिया जाए।
-------------------------
हमने अवगत करवा दिया था
हमनें अपनी मांगों से पूर्व में ही शासन, प्रशासन और कंपनी को अवगत करवा दिया था। उन्हें निर्णय लेना है, हम पांच अप्रैल से काम बंद करने जा रहे हैं।
- राजेंद्र राठौर, अध्यक्ष, छग संजीवनी 108/102 कर्मचारी कल्याण संघ
बातचीत जारी है
108, 102 कर्मचारियों के संघ से बातचीत जारी है, उन्हें बता दिया गया है की विभाग इस पर विचार कर रहा है। जो भी बेहतर होगा वो किया जाएगा।
- रानू साहू, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं
02 प्रशांत गुप्ता...05
समय रात 11बजकर 25 मिनट पर
सं. आरकेडी