नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: प्रदेश में पुलिस बल की कमी कानून-व्यवस्था को प्रभावित कर रही है। वहीं, दूसरी ओर योग्य युवा बेरोजगारी और ओवरएज जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं। प्रदेश में पुलिस विभाग के कुल 83,259 स्वीकृत पदों में से 17,820 पद वर्षों से खाली है। लेकिन इन पदों पर भर्ती को लेकर राज्य सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है।
बता दें कि प्रदेश में सबसे गंभीर स्थिति आर्म्ड फोर्स (सीएएफ) की है, जहां 3,326 पद रिक्त हैं। जबकि 2018 में हुई भर्ती में चयन सूची के साथ जारी वेटिंग लिस्ट के 417 अभ्यर्थी आज भी नियुक्ति के इंतजार में दर-दर भटक रहे हैं।
बता दें कि वर्ष 2018 में सीएमएफ में हुई भर्ती के दौरान 1,786 पदों पर चयन किया गया था। उसी समय विभाग ने 417 युवाओं की वेटिंग लिस्ट भी जारी की थी। विभाग ने यह वादा किया था कि रिक्तियों के अनुसार इन्हें भी नियुक्त किया जाएगा। लेकिन आज सात साल बाद भी यह इंतजार खत्म नहीं हुआ है। इनमें से लगभग 50 प्रतिशत युवा अब अधिकतम आयु सीमा पार कर चुके हैं। कई अभ्यर्थी अब सब्जी बेचने या दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं।
कांस्टेबल और सूबेदार जैसे फ्रंटलाइन पदों पर भारी कमी से जमीनी पुलिसिंग पर असर पड़ रहा है। सूबेदार, थाना स्तर पर प्रशासनिक नियंत्रण व अपराध जांच का जिम्मा संभालते हैं, जबकि कांस्टेबल आम जनता की सुरक्षा से लेकर अपराध रोकथाम और कोर्ट आदेशों के पालन तक की जिम्मेदारी निभाते हैं। बावजूद इसके, केवल तीन सूबेदार पूरे प्रदेश में कार्यरत हैं।
अक्टूबर 2024 में पुलिस विभाग ने 341 पदों पर भर्ती की घोषणा की थी। इसमें एसआइ, सूबेदार, प्लाटून कमांडर, साइबर और फिंगरप्रिंट शाखाओं के पद शामिल थे। लेकिन एक साल बीतने को है, फिर भी चयन प्रक्रिया अधूरी है। इसी तरह कांस्टेबल भर्ती का भी कोई ठोस निर्णय अब तक नहीं लिया गया है।
छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती में लगभग 6,000 पदों के लिए नवंबर में परीक्षा आयोजित की गई थी। फिजिकल टेस्ट भी हो चुका है और 14 सितंबर को लिखित परीक्षा प्रस्तावित है। लेकिन विभाग ने अब तक फिजिकल में सफल अभ्यर्थियों की सूची जारी नहीं की है। इससे उम्मीदवारों में असमंजस का माहौल है। अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि विभाग जल्द से जल्द मेरिट लिस्ट जारी कर लिखित परीक्षा की तैयारियों को स्पष्ट दिशा दे।
रिक्त पदों की वजह से अपराधों की जांच में देरी हो रही है। रायपुर जिले में देखें तो वर्ष 2024 में दर्ज 17,693 मामलों में से जनवरी 2025 तक 1,713 केस लंबित थे। जून तक यह संख्या घटकर सिर्फ 90 रह गई है।