वाकेश साहू, नईदुनिया, रायपुर। छत्तीसगढ़ के उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व (यूएसटीआर) में जंगल और जैव विविधता को बचाने के लिए वन विभाग ने इसरो की सहायता से 1,800 एकड़ से अधिक वनभूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। इसकी अनुमानित कीमत 500 करोड़ रुपये से अधिक है। पिछले 20 वर्षों से अतिक्रमण की चुनौती का सामना कर रहे इस क्षेत्र में इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों और ड्रोन मैपिंग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यूएसटीआर के उप निदेशक वरुण जैन (आइएफएस) की पहल पर इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र हैदराबाद से 2006-2010 की तस्वीरें प्राप्त की गईं। जिनका मिलान 2022 में ड्रोन मैपिंग से किया गया। इसमें पता चला कि 2012 के बाद बड़े पैमाने पर वनों की कटाई हुई है। 1,800 एकड़ से अधिक वनभूमि पर अतिक्रमण है। यह भी सामने आया कि वन भूमि पर बनी सभी अवैध बस्तियां 2008 के बाद ही अस्तित्व में आईं।
वन विभाग ने अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाकर वन भूमि को कब्जों से मुक्त कराया। इसके साथ ही वन विभाग ने गूगल अर्थ इंजन पर आधारित रिमोट सेंसिंग पोर्टल विकसित किया, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग कर साप्ताहिक निगरानी भी करता है।
आइएफएस वरूण जैन ने बताया कि गश्त की कमियों को दूर करने, मानव-पशु संघर्ष को कम करने और वनों एवं वन्यजीवों की निगरानी को मज़बूत करने के लिए तकनीक का सहारा लिया। तीन साल पहले शुरू हुए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान वन कर्मचारियों पर हमलों की खबरों के साथ, कड़े प्रतिरोध के बीच, इस क्षेत्र में बसी सात प्रमुख बस्तियों और 300 से ज्यादा कथित अतिक्रमणकारियों को बेदखल कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि विश्लेषण से पता चला कि कैसे वन क्षेत्र का नुकसान 2012 के बाद शुरू हुआ और 2020 तक जारी रहा, जिसके वजह से अतिक्रमणकारियों ने कथित कौर पर घने जंगल के विशाल भूभाग को साफ कर दिया था। उन इलाकों को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है।
उपग्रह चित्रों के आधार पर विभाग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि सभी अवैध बस्तियां 2008 के बाद ही अस्तित्व में आईं। वे वन अधिकार अधिनियम के तहत किसी भी भूमि के हकदार नहीं थे। केवल दिसंबर 2005 से पहले कब्जे वाली भूमि पर लागू होता है। अभी पोर्टल के जरिए नए और पुराने अतिक्रमणों और वन हानि वाले क्षेत्रों की निरंतर निगरानी की जा रही है और नियमित रूप से कार्रवाई की जा रही है।
-वरूण जैन, उप निदेशक, यूएसटीआर