रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। छत्तीसगढ़ में हरियाणा की तर्ज पर अब प्री व प्ले स्कूल के लिए मान्यता लेनी पड़ेगी। नर्सरी से लेकर केजी वन व केजी टू की कक्षा का संचालन भी बिना मान्यता के नहीं हो सकेगा। अभी तक इन कक्षाओं के लिए कोई मापदंड नहीं था। पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में शपथ-पत्र देकर कुछ पालकों ने प्राइवेट प्ले स्कूलों के संबंध में गाइडलाइन जारी कर पॉलिसी लागू किए जाने की मांग की थी। इस पर निर्णय आने के बाद हरियाणा में गाइडलाइन तैयार की गई है। इसके बाद देश भर के निजी स्कूलों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की ओर से प्ले स्कूलों के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है।
इसके आधार पर छत्तीसगढ़ में भी अब प्ले स्कूल की मनमानी पर शिकंजा कसने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। महिला एवं बाल विकास अब बच्चों की न सिर्फ पढ़ाई, बल्कि बच्चों के व्यवहार पर ध्यान देगा। प्ले स्कूल के लिए गाइडलाइन छत्तीसगढ़ महिला एवं बाल विकास विभाग बना रहा है। इस गाइडलाइन मापदंडों पर जो प्ले स्कूल खरे उतरेंगे, उन्हें मान्यता मिलेगी, नहीं तो बंद करना पड़ेगा। गाइडलाइन महिला एवं बाल विकास बनाएगा और स्कूल शिक्षा विभाग भी मॉनिटरिंग करेगा। गौरतलब है कि राज्य में छह हजार से अधिक प्ले स्कूल संचालित हैं।
हर साल रिव्यू, बंद किया तो बताना पड़ेगा
प्ले स्कूल के लिए जारी गाइडलाइन के मुताबिक प्ले स्कूलों की मान्यता रिन्यू अनिवार्य कर है। अगर कोई प्ले स्कूल बंद करता है तो इसकी अनुमति भी लेनी होगी। प्ले स्कूल नियमों पर खरा नहीं उतरता तो उसे तुरंत बंद करा दिया जाएगा।
ऐसे मिलेगी मान्यता
प्ले स्कूल के मान्यता के लिए कम से कम दो अधिकारियों की कमेटी निरीक्षण करेगी और ब्लाक स्तर के अधिकारी शामिल होंगे।
मान्यता मिलने के बाद प्ले स्कूलों की सूची विभाग को जिलावार डिस्प्ले बोर्ड पर लगानी पड़ेगी। मान्यता के बाद जो प्ले स्कूल बंद होंगे उनकी भी सूची लगाई जाएगी।
फीस के लिए भी बनेगी कमेटी
अभी तक प्ले स्कूलों की फीस के लिए कोई कमेटी नहीं बनी है। बच्चों की फीस भी कमेटी ही निर्धारित करेगी। मनमानी फीस की वसूली न हो इसके लिए पैरेंट्स-टीचर एसोसिएशन का गठन कर स्कूल का समय-समय पर निरीक्षण किया जाएगा। अभी स्कूलों में मनमानी फीस ली जा रही है। कई प्ले स्कूल में तो इंजीनियरिंग से अधिक फीस वसूली जा रही है।
छह साल से कम बच्चे को चार घंटे से ज्यादा नहीं पढ़ा सकेंगे
राजधानी में ज्यादातर निजी स्कूलों में बच्चों को छह से आठ घंटे तक रोका जा रहा है। ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई की जाएगी। गाइडलाइन के हिसाब से अब प्ले स्कूलों में तीन या चार घंटे से ज्यादा कक्षाओं का संचालन नहीं किया जाएगा। एक क्लास में 20 बच्चों पर एक शिक्षक व एक केयर टेकर अनिवार्य होगा। तीन वर्ष से कम व छह वर्ष से अधिक आयु के बच्चे नहीं पढ़ाए जाएंगे।
ये मापदंड होंगे अनिवार्य
बच्चों के लिए लड़का-लड़की के हिसाब से अलग-अलग शौचालय, दिव्यांग बच्चों के लिए शौचालय व रेस्ट रूम, खेलकूद की गतिविधियों के लिए प्ले ग्राउंड, सुरक्षा के लिए परिसर में फायर सेफ्टी व सीसीटीवी अनिवार्य, लाइब्रेरी के साथ ऑडियो-वीडियो सुविधा, पढ़ाने वाले स्टाफ का भी रिकॉर्ड अपडेट होना अनिवार्य है और संचालक या प्राचार्य पर जेजे एक्ट या पोस्को एक्ट के अलावा कोई भी आपराधिक केस दर्ज न हो।
दूसरे राज्यों में भी शुरू हो गई प्रक्रिया
मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने निजी प्ले स्कूलों के लिए रेगुलेटरी गाइडलाइन बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यहां महिला एवं बाल विकास विभाग ने एनजीओ, यूनिसेफ, निजी प्ले स्कूल संचालकों और प्रबुद्घजनों से इसके लिए सुझाव मांगे हैं। सुझावों के आधार बनी गाइडलाइन को लागू करना है। मध्यप्रदेश में बिना मान्यता के प्ले स्कूल नहीं चलेंगे। इसी तरह हरियाणा में अब प्राइवेट प्ले स्कूल एनसीपीसीआर (नेशनल कमीशन प्रोटेक्शन चाइल्ड) के दायरे में आएंगे।
प्ले स्कूलों को रेगुलेट करने के लिए निर्देश मिले हैं। हम राज्य में प्ले स्कूल के लिए गाइडलाइन बना रहे हैं। अर्ली चाइल्ड केयर एंड एजुकेशन पॉलिसी के तहत संस्कार अभियान भी चलाया जा रहा है। - एम गीता, सचिव, महिला एवं बाल विकास
बच्चों के लिए गाइडलाइन का काम महिला बाल विकास करता है। स्कूल शिक्षा विभाग छह साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए आरटीइ के तहत मान्यता देने की गाइडलाइन का पालन कराता है। - गौरव द्विवेदी, सचिव, स्कूल शिक्षा