बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है कृमिनाशक दवा, ये हैं इसके फायदे और खुराक
Albendazole Benefits: बच्चों को कृमि के खतरे से बचाने के लिए कृमिनाशक दवा खिलाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Sun, 04 Sep 2022 02:47:30 PM (IST)
Updated Date: Sun, 04 Sep 2022 02:47:30 PM (IST)

रायपुर। बच्चों को कृमि के खतरे से बचाने के लिए मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में कृमिनाशक दवा खिलाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। तीन पालियों में आयोजित इस प्रशिक्षण में प्रथम पाली में शहरी क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों, द्वितीय पाली में हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों तथा तृतीय पाली में निजी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। नेशनल डीवर्मिंग डे (एनडीडी) के नोडल अधिकारी डा. प्रणव वर्मा व एनडीडी के प्रभारी गजेंद्र डोंगरे द्वारा प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें एल्बेंडाजोल (कृमिनाशक दवा) खिलाने की विधि के बारे में जानकारी दी गई ।
सितंबर नौ से शुरू होने वाले इस अभियान के दौरान एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी जिसका क्रियान्वयन शिक्षा विभाग एवं आईसीडीएस विभाग के समन्वय से किया जाएगा। साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवा मैनेजमेंट, रिपोर्टिंग फार्मेट, आइईसी सामग्री का सहयोग होगा।
एनडीडी प्रभारी गजेंद्र डोंगरे ने बताया कि बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए कृमि नाशक दवा जरूरी है। एल्बेंडाजोल एक कृमि (पेट के कीड़े) नाशक दवा है, जिसे लेने से बच्चों के पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं। एक से दो वर्ष के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली पीसकर पानी में घोल कर दी जाती है, जबकि दो वर्ष से तीन वर्ष तक के बच्चों को एक गोली पीसकर दी जाती है। वहीं तीन वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को यह टेबलेट चबाकर खानी होती है।
इस मौके पर एनडीडी नोडल अधिकारी डा. प्रणव वर्मा ने शिक्षकों से कहा कि दवा सेवन से पहले थोड़ा बहुत खाना जरूर खाने की सलाह दी जाती है। नौ सितंबर को समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक से पांच वर्ष तक के सभी पंजीकृत बच्चे, गैर पंजीकृत बच्चे और शाला त्यागी ( स्कूल ना जाने वाले ) सभी बालक-बालिकाओं को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा दवा खिलाई जाएगी। वहीं छह वर्ष से 19 वर्ष तक के सभी छात्र-छात्राओं को सरकारी सरकारी सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूल, मदरसों, केंद्रीय विद्यालय में शिक्षकों के माध्यम से दवा खिलाई जाएगी।