रायपुर। Navratri 2021: किसी समय बंजारा जाति के लोग कभी एक गांव तो कभी दूसरे गांव जाकर तमाशा दिखाकर अपना गुजारा करते थे। ऐसे ही लगभग 500 साल पहले रायपुर के समीप रावाभाठा गांव में बंजारों ने डेरा जमाया। उस दौरान बंजर धरती से निकली प्रतिमा को बंजारों ने अपनी कुलदेवी के रूप में जंगल में स्थापित किया। कालांतर में उस जगह पर भव्य मंदिर बन गया है, जिसे बंजारों की कुलदेवी के नाम पर ही मां बंजारी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
धीरे-धीरे इस मंदिर की प्रसिद्धि फैलती गई और ट्रस्ट ने वहां दिल्ली के इंडिया गेट की तर्ज पर अमर जवानों के सम्मान में मुख्य द्वार पर ही अमर जवान ज्योति की स्थापना करवाई है। पिछले पांच साल से यह ज्योति अखंड रूप से प्रज्ज्वलित हो रही है। इस वजह से मंदिर में हर साल युवाओं का रेला उमड़ता है। इस साल कोरोना के चलते मंदिर बंद है, लेकिन अख्ड ज्योति प्रज्ज्वलित हो रही है।
देवी दर्शन के साथ जवानों को सलामी
मंदिर में आने वाले भक्तगण मां बंजारी का दर्शन करने के साथ ही अमर जवान ज्योति के समक्ष सलामी देकर वीर शहीदों को नमन करते हैं। इसके समक्ष भारतीय सेना के सीआरपीएफ, बीएसएफ, वायु सेना, जल सेना, थल सेना के प्रतीक वाले ध्वज के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी हमेशा फहराता है। मंदिर द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में प्रवेश करने के पहले जवानाें को सलामी देते हैं।
बच्चों में देशभक्ति की भावना जाग रही
बंजारी मंदिर ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक हरीश भाई जोशी बताते हैं कि यह देश का पहला मंदिर है, जहां मुख्य द्वार पर अमर जवान ज्योति प्रज्ज्वलित की जा रही है। इससे स्कूल में शिक्षारत एक हजार से अधिक बच्चे प्रतिदिन वीर जवानों को याद करते हैं और देश की तीनों सेना में सेवा देने की भावना उनके भीतर जागृत होती है। कई युवा स्कूल से शिक्षा ग्रहण करके सेना में भर्ती भी हो गए हैं।
1980 में हुआ नवर्निर्माण
लगभग 500 साल से बंजारी देवी की पूजा ग्रामीण करते आ रहे हैं। 1980 के दौरान छोटे से मंदिर का नवर्निर्माण किया गया। वर्तमान में यह भव्य मंदिर बन चुका है। यहां भगवान भोलेनाथ की 25 फीट ऊंची प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। साथ ही स्वर्ग नरक की झांकी संबंधित प्रतिमाएं भी भक्तों को लुभाती है। इन मूर्तियों के माध्यम से संदेश दिया गया है कि अच्छे कर्म करेंगे तो स्वर्ग मिलेगा और बुरे कर्म से नरक की प्राप्ति होगी।