अनिल मिश्रा, रायपुर। राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग में अमीन के आठ सौ से ज्यादा पद रिक्त हैं। राज्य गठन के बाद से अमीन की भर्ती नहीं हुई है। अमीन का पद पटवारी जैसा महत्वपूर्ण माना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि विभाग के अफसरों को पिछले 16 सालों में यह याद न आया कि अमीन की भर्ती भी करना है। यह मामला उस समय खुला, जह अनुकंपा नियुक्ति का एक प्रकरण मंत्रालय पहुंचा। इसके बाद से विभाग में हड़कम्प है और अमीन के खाली पदों को भरने के लिए नियम-कानून खंगाले जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण कार्यपालिक पद
राजस्व विभाग में पटवारी खेती किसानी से लेकर जन्म मरण, अकाल, अति वृष्टि या किसी सरकारी योजना के आधार स्तर पर क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होते हैं। ऐसे ही सिंचाई विभाग में अमीन भी नहरों, उद्योगों और खेतों को दिए जाने वाले जल, सिंचाई स्रोतों की निगरानी, नहरों की लाइनिंग, नई परियोजनाओं के लिए जमीन की व्यवस्था व नक्शा बनाने तथा पानी के राजस्व का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अमीन की कमी से दिक्कत
सिंचाई के एक अफसर ने माना कि अमीन पद पर भर्ती नहीं होना बड़ी प्रशासनिक चूक है। भूमि में ग्रेविटेशनल फोर्स व जल की उपलब्धता का पता लगाने, वन भूमि व निजी भूमि का निर्धारण करने, पानी के उपयोग का राजस्व निर्धारित करने आदि कामों में अमीन की कमी से दिक्कत हो रही है। किसानों से पानी के राजस्व की वसूली का काम अमीन ही करते हैं।
पटवारी और अमीन
पटवारी के लिए 12 वीं तथा पटवारी ट्रेनिंग परीक्षा पास करना अनिवार्य होता है। अमीन के लिए यही योग्यता निर्धारित है। 12 वीं के बाद जो उम्मीदवार पटवारी की ट्रेनिंग लेते हैं व परीक्षा पास करते हैं उन्हें अमीन नियुक्त किया जा सकता है। पटवारी जमीन नापता है और अमीन पानी।
बदले जाएंगे नियम-
पटवारी की योग्यता के आधार पर अमीन की भर्ती का नियम मध्यप्रदेश सरकार ने बनाया था जिससे राज्य सिंचाई विभाग सहमत नहीं है। बताया जा रहा है कि अमीन की भर्ती के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं जिसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा। इसमें अमीन के पद पर नियुक्ति के लिए पटवारी ट्रेनिंग की अनिवार्यता समाप्त कर कम्प्यूटर में दक्षता को शामिल किया जा सकता है।
अमीन की भर्ती करना भूल गए ऐसा नहीं है। मध्यप्रदेश के समय के नियम हैं,जो अब उपयोगी नहीं हैं, लिहाजा भर्ती में दिक्कत आ रही है। अमीन की भर्ती के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। जल्द ही भर्ती की जाएगी। - बीएल तिवारी, सचिव, जल संसाधन विभाग