रायपुर। छत्तीसगढ़ का सबसे प्राचीन भगवान नृसिंह का मंदिर ऐतिहासिक बूढ़ातालाब के सामने ब्रह्मपुरी इलाके में स्थित है। यहां भगवान विष्णु के नर और पशु के मिश्रित अवतार के रूप में नृसिंह विराजित हैं। प्रतिमा में दर्शाया गया है कि भगवान नृसिंह अपनी दोनों जंघा पर राजा हिरण्यकश्यप को लिटाकर अपने पैने नाखूनों से राजा का संहार कर रहे हैं। राजा के पुत्र और भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद भगवान की गोद में विराजे हैं।
मंदिर में सबसे बड़ा उत्सव वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है, जिसे नृसिंह चौदस कहा जाता है। इस बार नृसिंह चौदस 4 मई को पड़ रही है। इस दिन मंदिर में राजा हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए भगवान नृसिंह के अवतार लेने का मंचन किया जाता है। इस मंचन को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। नृसिंह मंदिर की खास विशेषता के बारे में जानकारी दे रहे हैं, नईदुनिया के संवाददाता श्रवण शर्मा
मौसम के अनुरुप प्रतिमा का तापमान
मंदिर के महंत देवदास बताते हैं कि लगभग 1155 साल पूर्व प्रतिष्ठापित मंदिर में भगवान नृसिंह की प्रतिमा अष्ट धातु से बनी हुई है। प्रतिमा की विशेषता यह है कि ग्रीष्म काल में प्रतिमा को छूने पर यह ठंडी होती है और शीतकाल में प्रतिमा को छूने पर प्रतिमा के गरम होने का अहसास होता है। इसका कारण प्रतिमा जहां विराजित है वह गर्भगृह मोटे पत्थरों से बना है, गर्भगृह के भीतर न एयरकंडीशनर है और न कूलर, पंखे। इसके बावजूद ग्रीष्मकाल में गर्भगृह के भीतर प्रवेश करने पर गर्भगृह का वातावरण ठंडा होता है।
भोसले राजा हरहरवंशी ने बनवाया
महंत बताते हैं कि भोसले राजा हरहरवंशी ने नृसिंह मंदिर का निर्माण करवाया था। संपूर्ण मंदिर 28 खंभों पर टिका हुआ है। प्रत्येक खंभा एक ही पत्थर को तराशकर बनाया गया है। किसी भी खंभे में जोड़ नहीं है। सभी खंभे तीन फीट चौड़ाई और 10 फीट ऊंचाई के बने हुए हैं। इन्हें एक ही पत्थर को तराशकर बनाया गया है। छत के नीचे दो गर्भगृह हैं। ये गर्भगृह चार फीट चौड़ाई और सात फीट ऊंचाई के हैं।
वास्तु अनुरुप छत का आकार
मंंदिर की छत 28 खंभों पर टिकी है, छत के नीचे प्रत्येक खंभे के बीच में त्रिकोण आकार की गहराई है, जिसे ताबीज की संज्ञा दी गई है। इसे वास्तु अनुरुप् बनाया गया है। इन त्रिकोण आकार के ताबीज के नीचे बैठकर मंत्र जाप और ध्यान लगाने से श्रद्धालुओं को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। मंदिर परिसर के बाहर भले ही गर्मी का प्रकोप कितना भी क्यों न हो, मंदिर के भीतर ठंडकता का अहसास होता है।
विरंची-नारायण की प्रतिमा
भगवान नृसिंह के गर्भगृह से लगा एक और गर्भगृह है, जहां भगवान विष्णु विरंची-नारायण के रूप में विराजित हैं। दक्षिण भारत में पद्मनाथ स्वामी की विशाल प्रतिमा का लघु रुप यहां प्रतिष्ठापित है। क्षीर सागर में 11 नागों के फन पर भगवान विष्णु विश्राम कर रहे हैं और माता लक्ष्मी चरण दबा रहीं हैं। भगवान विष्णु की नाभि से निकले पुष्प पर विरंची (ब्रह्माजी) विराजित हैं। यह प्रतिमा भी अष्ट धातु से बनाई गई है, लेकिन प्रतिमा को देखने पर ऐसा लगता है कि काले पत्थर से बनीं है।
कल्चुरिकालीन शिवलिंग
मंदिर परिसर में भगवान श्रीराम, सीता, हनुमान, राधा-कृष्ण, सत्यनारायण भगवान के अलावा कल्चुरिकालीन शिवलिंग भी स्थापित है। मंदिर में रामनवमीं उत्सव, जानकी जन्मोत्सव, हनुमान जयंती, कृष्ण जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि, गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है, लेकिन प्रमुख पर्व नृसिंह जयंती धूमधाम से मनाते हैं, जो पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है।
17वें महंत दे रहे सेवा
नृसिंह मंदिर में पिछले एक हजार साल में अनेक महंतों, पुजारियों ने सेवा दी है। वर्तमान में मंदिर के लिखित इतिहास के अनुसार सात पीढ़ी के महंतों नाम ही दर्ज हैं। इनमें ब्रह्मलीन महंत रामनारायण दास, महंत सरजूदास, महंत गिरधारी दास, महंत सेवादास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी दास ने अनेक वर्षों तक सेवा दी और स्वर्ग सिधार गए। वर्तमान में 17 वें महंत के रूप में महंत देवदास सेवा कर रहे हैं।
चतुर्दशी को 151 लीटर दूध से अभिषेक और शोभायात्रा
4 मई को वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि पर भगवान नृसिंह का 151 लीटर दूध से अभिषेक किया जाएगा। दोपहर 1 से 4 बजे तक भंडारा और शाम 4 बजे शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा में श्रद्धालु राजा हिरण्यकश्यप, भक्त प्रहलाद का भेष धारण करेंगे। शोभायात्रा के वापस मंदिर लौटने पर संध्या बेला में भगवान नृसिंह का अवतार होगा और हिरण्यकश्यप के संहार का मंचन किया जाएगा।
ऐसे पहुंचे मंदिर
शहर के ह्दय स्थल ऐतिहासिक बूढ़ा तालाब के मुख्य प्रवेश द्वार और बूढ़ेश्वर मंदिर के बगल से ब्रह्मपुरी जाने के लिए मार्ग है। बूढ़ा तालाब के ठीक सामने ब्रह्मपुरी इलाके में मंदिर है। भाठागांव स्थित नया बस स्टैंड से मात्र दो किलोमीटर और रेलवे स्टेशन से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आसानी से आटो, टैक्सी उपलब्ध है।