रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। योग मनुष्य को सदैव युवा बनाए रखता है। शरीर युवा ना रहे तब भी युवाओं जैसी मानसिकता और ऊर्जा अष्टांग योग के माध्यम से संभव है। प्राणायाम ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है और विषैले तत्वों को कम करके शरीर को ऊर्जावान बनाता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। यह कहना है डॉ. प्रफुल्ल शर्मा का। वे विप्र कॉलेज में अष्टांग योग विषय पर आयोजित तीन दिवसीय नेशनल वेबिनार में बोल रहे थे।
वेबिनार का समापन गुरुवार को हुआ। इसमें नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रफुल्ल शर्मा ने कहा कि ऑक्सीजन का स्तर जितना कम होता है, शरीर में विषैले तत्वों की अधिकता होती है। साथ ही प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, तनाव अधिक होता है। इससे तन और मन दोनों कमजोर होने लगते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना योग और प्राणायाम करें। रायपुर एम्स के डॉ. मृत्युंजय राठौर ने कहा कि योग और प्राणायाम का लाभ तभी मिल सकता है, जब अष्टांग योग के प्रथम तीन अंग यम, नियम और प्रत्याहार का पालन होगा। क्योंकि इससे शरीर और मन आसन व प्राणायाम करने के लिए पूरी तरह से तैयार होते हैं।
आयुर्वेद औषधि से मिलता है लाभ
द्वितीय सत्र में कनाडा की विक्टोरिया युनिवर्सिटी के योग पीएचडी शोधार्थी विराग मिश्रा ने आसन, योग और प्राणायाम का ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ऋषि पतंजलि को योग और आयुर्वेदिक दोनों का ज्ञान था। योग और आयुर्वेदिक एक-दूसरे पर आश्रित हैं। आयुर्वेद पच्च, अपच्च आहार-विहार आदि नियमों के पालन से योग का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। योग और प्राणायाम हमारी दिनचर्या में रहेंगे तो आयुर्वेदिक औषधि से फायदा ज्यादा मिलता है। इस अवसर पर डॉ. उषा दुबे, प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी, डॉ. रंजना मिश्रा ने भी विचार रखे। वेबिनार का संचालन डॉ. दिव्या शर्मा और निधि ठाकुर ने किया।