नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर: भारतमाला सड़क परियोजना में करोड़ों का मुआवजा घोटाला (Bharatmala Project Scam) करने के छह प्रमुख आरोपी कानून की पकड़ से बाहर हैं। एफआईआर के दो महीने बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने सभी को फरार घोषित किया है।
ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत ने सार्वजनिक सूचना जारी करके बताया है कि सभी आरोपितों के निवास पर वारंट भेजा गया था, लेकिन सभी को अनुपस्थित बताकर वारंट वापस कर दिया गया। विशेष अदालत ने सभी को 29 जुलाई को उपस्थित होने को कहा है।
बता दें कि मुख्य आरोपित जितेंद्र साहू (पटवारी), बसंती घृतलहरे (पटवारी), निर्भय साहू (एसडीएम), शशिकांत कुर्रे (तहसीलदार), लखेश्वर प्रसाद किरण (नायब तहसीलदार), लेखराम देवांगन (पटवारी) पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। दरअसल, फर्जी मुआवजा भुगतान की शिकायत रायपुर कलेक्टर से की गई थी।
17 जनवरी 2024 को सौंपी गई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि यह सुनियोजित घोटाला था। इसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी खजाने को 48 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया। बता दें कि इस मामले में निलंबित पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली थी।
भारतमाला परियोजना के तहत ढेका-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग 130ए बन रहा है। एनएचएआई की शिकायत के बाद जब जांच हुई तो भूमि घोटाले का खुलासा हुआ। भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए 20 फरवरी 2018 को केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए थ्री-डी अधिसूचना जारी की थी। जब थ्री-डी जारी हुआ जमीन पर बटांकन कम था, लेकिन जैसे ही अधिग्रहण की सूचना जारी हुई तो पता चला कि जमीन में 33 बटांकन हो चुका है और जमीन के 76 मालिक बन चुके है। एनएचएआई ने रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि ग्राम ढेका में जमीनों का विभाजन कई टुकड़ों में कर दिया गया था, कई खसरा नंबरों पर साल 2017 में ही बंटवारा दर्शाया गया है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि ये विभाजन थ्री-डी अधिसूचना से भी पहले के थे।
एनएचएआई ने सवाल उठाया कि जब पहली बार थ्री-डी जारी हुई, उस दौरान भी विभाजन को प्रदर्शित होना था, उन्होंने इसे एक सुनियोजित भ्रष्ट्राचार बताया था। शिकायत की जांच में यह सामने आया कि विवादित भूमि पर 22 बटांकन एक ही दिन और 11 बटांकन दूसरे दिन किए गए थे, जो इस प्रक्रिया की संदिग्धता को बढ़ाते हैं। इस बैकडेटेड बटांकन में हेराफेरी की आशंका को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस मामले को आयुक्त/आर्बिट्रेटर न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय के आदेश पर हुई जांच में पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा और नायब तहसीलदार डीएस उइके को दोषी पाया गया। पटवारी सुरेश कुमार मिश्रा पर एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली।