रायपुर, राज्य ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने भाजपा कार्यकर्ताओं से भारतीय जनसंघ के संस्थापक डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के सेवा, संगठन, राष्ट्रीय चिंतन और राजनीतिक प्रतिबद्धता के गुणों को आत्मसात कर भारतीय राजनीति को सुविचारित दिशा देने का आग्रह किया है। शिवप्रकाश सोमवार को भाजपा के कार्यकर्ताओं को 'डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जीः जीवन व विचार’ विषय पर वर्चुअली संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर भाजपा महामंत्री व प्रदेश प्रभारी डी. पुरन्देश्वरी, प्रदेश सह-प्रभारी नितिन नबीन, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, महामंत्री भूपेन्द्र सवन्नी, नारायण चंदेल, किरण देव राज्यसभा सांसद द्वय डाॅ. सरोज पाण्डेय व रामविचार नेताम,विधायक, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, दीपक पटेल समेत प्रदेशभर से भाजपा के पूर्व व वर्तमान जनप्रतिनिधि व मंत्री, पदाधिकारी व कार्यकर्ता बड़ी संख्या में वर्चुअली जुड़े थे। कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षण विभाग भाजपा के प्रदेश सह प्रभारी अवधेश कुमार जैन ने किया।
जन्म जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन पर प्रकाश डाला और उनके कार्यों का स्मरण किया। शिवप्रकाश ने कहा कि बंगाल विभाजन को लेकर डाॅ. मुखर्जी की भारतीय समाज की रक्षा के दृष्टिगत महत्ती भूमिका को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता।
सेवा और संस्कार उनके राजनीतिक चिंतनधारा के केन्द्र बिन्दु थे और इसी से प्रेरित होकर भाजपा ने ‘सेवा ही संगठन’ अभियान को हाथ में लिया है। इसके माध्यम से कोरोना संक्रमण के आपदाकाल में भाजपा कार्यकताओं ने निष्ठा व समर्पण के साथ सेवा कार्य संपादित किए। शिवप्रकाश ने कहा कि देश सेवा और समाज सुधार के लिए समर्पित डाॅ. मुखर्जी ने अपने संसदीय जीवन में कभी पूरी प्रखरता व मुखरता के साथ राष्ट्रीय चिंतन का प्रवर्तन किया। अपने इस कार्य को निष्कंटक पूरा करने के लिए डाॅ. मुखर्जी ने केंद्रीय उद्योग मंत्री के पद से त्याग पत्र तक दे दिया।
भाजपा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीतियों से डाॅ. मुखर्जी की मुखर असहमति की चर्चा की और कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर डाॅ. मुखर्जी ने पं. नेहरू के दृष्टिकोण का कड़ा प्रतिवाद किया। धारा 370 और अनुच्छेद 35 (ए) को लेकर बाद में डाॅ. मुखर्जी ने ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान व दो निशान नहीं चलेगा’ कहते हुए कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाने और भारत की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अपने जीवन का बलिदान किया। डाॅ. मुखर्जी के इस स्वप्न को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की केंद्र सरकार ने साकार करके डाॅ. मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।