राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: डीएमएफ (जिला खनिज प्रतिष्ठान) फंड से कृषि यंत्रों की खरीदी में हुए 550 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की आंच अब मंत्रालय तक पहुंच गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने कृषि विभाग के तीन पूर्व निदेशकों और एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी से दो दिन तक लगातार पूछताछ की है। फाइलों और भुगतान दस्तावेजों की जांच जारी है, जिससे जल्द ही और बड़े राजफाश की उम्मीद है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही घोटाले से जुड़े अफसरों के साथ ही कारोबारियों की गिरफ्तारी होगी।
ईडी की जांच में सामने आया है कि डीएमएफ मद से खरीदी गई कृषि सामग्रियों में भारी गड़बड़ी कर 600 करोड़ तक कमीशन का बंदरबांट किया गया। जांच एजेंसी ने राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम से जुड़े ठेकेदारों, सप्लायरों, बिचौलियों के साथ होटल मालिक, सीए, सराफा और दवा कारोबारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है।
अब तक की जांच में ईडी ने 28 स्थानों पर छापेमारी कर चार करोड़ रुपये, 10 किलो चांदी के जेवर और कई संदिग्ध दस्तावेज जब्त किए हैं। इससे पहले 21.47 करोड़ की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की जा चुकी है। एजेंसी के राडार पर फिलहाल छह आइएएस और 25 से अधिक सप्लायर हैं।
इस घोटाले की शुरुआत कोरबा जिले से मानी जा रही है, जहां वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 2,000 करोड़ रुपये की डीएमएफ राशि प्राप्त हुई। इसमें से करीब 500-600 करोड़ रुपये केवल कमीशन के रूप में बंटने की आशंका जताई जा रही है। कृषि उपकरणों के अलावा निर्माण कार्य और खेल सामग्री की खरीदी में भी बड़े स्तर पर अनियमितताएं उजागर हुई हैं।
जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों की माने तो जांच में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं। फिलहाल कृषि विभाग समेत कई अन्य विभागों के अधिकारियों को पूछताछ के दायरे में लाया गया है।