रायपुर। छत्तीसगढ़ के पिंगला रमकोला में केंद्रीय जू अथॉरिटी की बिना अनुमति के एलीफेंट रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर संचालित किया जा रहा है। रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री मो. अकबर से पत्र लिखकर वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम सहित अलग-अलग धाराओं के तहत कार्यवाई करने की मांग की है। ज्ञात हो कि इससे पहले धमतरी जिला के नगरी में केंद्रीय जू अथॉरिटी की अनुमति के बिना, संचालित कर रहे जू के संचालक को जेल भेजा जा चुका है।
वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री को पत्र में अवगत कराया है कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने जनवरी 2021 में रेस्क्यू सेंटर की जांच रिपोर्ट दी है, जिसमें उल्लेख किया गया है की केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 38 एच(1) की अनुमति बिना रेस्क्यू सेंटर का संचालन किया जा रहा है और तो और वहां पर हाथियों को लाए जाने के पूर्व भी प्राधिकरण से धारा 38-I की अनुमति नहीं ली गई है। वहां सिर्फ रेस्क्यू सेंटर निर्माण की अनुमति ली गई थी, संचालन की नहीं। निरीक्षण टीम ने अन्य 45 बिंदुओं पर भी गंभीर अनियमितताएं पाई हैं।
संविधान सम्मत कार्यवाई करने की मांग
सिंघवी ने पत्र में वन मंत्री से मांग की है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रावधान है कि राज्य विधि के मामलों में सभी के साथ समानता का व्यवहार करेगा अर्थात ऐसा नहीं कि निजी व्यक्ति वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 38 एच(1) की अनुमति बिना जू संचालित करता है, तो उसे जेल में डाल दिया जाए और शासकीय विभाग या शासकीय अधिकारी धारा 38 एच(1) की अनुमति के बिना जू का संचालन कर रहे हैं, तो उन पर कोई कार्यवाही न की जाए। यह संविधान सम्मत नहीं होगा।
हाथियों पर अत्याचार का सेंटर है पिंगला रेस्क्यू सेंटर
सिंघवी ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने रेस्क्यू सेंटर को अत्याचार का केंद्र बना रखा है। 2019 में एडवांस स्टेज की प्रेग्नेंट गंगा नामक हथनी को जंगली हाथी पकड़ने के लिए डिलीवरी के दो दिन पूर्व 70 किलोमीटर पैदल चलाया गया था, जबकि गाइडलाइन्स के अनुसार एक दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा किसी भी स्वस्थ हाथी को नहीं चलाया जा सकता।
योगलक्ष्मी नामक हथिनी को भी एडवांस प्रेगनेंसी की स्टेज में ट्रक में ट्रांसपोर्ट कर तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर भेजा गया और वहां पहुंचते से ही उसने शावक को जन्म दिया। रेस्क्यू सेंटर में हाथियों के दोनों पांवों को छोटी-छोटी चेन से बांध के रखा जाता है, जिससे उनका मूवमेंट नहीं हो पाता और चोटिल होने की पूर्ण आशंका रहती है। हाथियों पर प्रतिबंधित अंकुश का उपयोग किया जाता है।
जानिए क्या है जू को चालू करने के नियम
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 38 H (1 A) के तहत निर्माण के पूर्व सैद्धांतिक अनुमति।
- एलीफेंट रिहैबिलिटेशन एंड रेस्क्यू सेंटर का संचालन चालू करने के पूर्व अधिनियम की धारा 38 H (1) के तहत अनुमति।
- एलीफेंट रिहैबिलिटेशन एंड रेस्क्यू सेंटर में वन्यप्राणी लाए जाने के पूर्व अधिनियम की धारा 38-I के तहत अनुमति।