नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को रिटायर्ड आइएएस डा. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा ने सरेंडर किया। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दोनों को गिरफ्तार किया। विशेष अदालत ने सुनवाई के बाद आरोपितों को 16 अक्टूबर तक ईडी की रिमांड पर देने का आदेश दिया है।
यह गिरफ्तारी 10 साल पहले राज्य के चर्चित नान घोटाले से जुड़ी है। आरोप है कि आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा ने अपने पद और अधिकार का दुरुपयोग करते हुए जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मिली जमानत रद कर दी थी, जिसके बाद आलोक शुक्ला दो बार सरेंडर करने कोर्ट पहुंचे। पहले ईडी द्वारा कोर्ट में डायरी पेश न करने के कारण अनुमति नहीं मिली, लेकिन बाद में डायरी पेश होने के बाद दोनों की गिरफ्तारी हुई।
गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम ने आरोपितों को दिल्ली के लिए फ्लाइट से रवाना किया। दिल्ली ईडी कार्यालय में उनसे नई सिरे से पूछताछ की जाएगी। नान घोटाले की जांच अब दिल्ली ईडी द्वारा ही की जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील किया गया और सीआरपीएफ जवानों को तैनात किया गया। सुप्रीम कोर्ट की युगल पीठ ने ईडी और ईओडब्ल्यू को जांच पूरी करने के लिए समय सीमा तय की है। ईडी के लिए तीन और ईओडब्ल्यू के लिए दो महीने।
नागरिक आपूर्ति निगम में चावल, नमक और अन्य खाद्य पदार्थों के परिवहन और भंडारण में गड़बड़ी की शिकायत के बाद 12 फरवरी 2015 को एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम ने 28 ठिकानों में छापेमारी की। जांच में नान के रायपुर मुख्यालय से दो करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए। इसके बाद 16 लोगों के खिलाफ 5000 पन्नों से अधिक का चालान कोर्ट में पेश किया गया। उस समय आलोक शुक्ला खाद्य सचिव और अनिल टूटेजा नान के एमडी थे। केंद्र से अनुमति मिलने के बाद दोनों के खिलाफ अलग पूरक चालान भी कोर्ट में पेश किया गया।