
राजिम से धनंजय सिंह साहू, रायपुर। CG Eelction 2023 छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी विधानसभाओं में से एक राजिम विधानसभा की पहचान धर्म नगरी के रूप में है। महानदी के तट पर बसे राजिम में भगवान राजीवलोचन का प्राचीन मंदिर है। महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों का संगम होने के कारण यहां की महत्ता प्रयागराज के समान है। संगम में कुलेश्वर महादेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर है। यहां लगने वाला माघ पूर्णिमा का मेला पूरे देश में प्रसिद्ध है। राजनीति के दृष्टिकोण से देखें तो वर्ष 1952 में यहां विधानसभा का पहला चुनाव हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस की श्यामकुमारी देवी ने जीत दर्ज की थी। यहां होने वाले अब तक के सभी विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के मध्य सीधा मुकाबला होता आया है।
राजिम विधानसभा सीट को कांग्रेस की पारंपरिक सीट होने के साथ ही शुक्ल परिवार का गढ़ भी माना जाता है। अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल यहां से सात बार विधायक चुने गए थे। उनके पुत्र अमितेश शुक्ल वर्तमान में विधायक हैं। अमितेश छत्तीसगढ़ गठन के बाद जोगी सरकार में पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके हैं। विधानसभा में हुए विकास कार्य को देखने के लिए नईदुनिया की टीम सबसे पहले राजिम पहुंची। यहां 2018 के चुनाव में अमितेश शुक्ल को 99,041 मत मिले थे और उन्होंने भाजपा के पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय को 58,132 वोटों से हराया था। वे प्रदेश में मंत्री मोहम्मद अकबर के बाद सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले दूसरे प्रत्याशी थे।
यहां युवा रिकेश साहू, रामजीवन साहू ने बताया कि राजिम में सर्व सुविधायुक्त बस स्टैंड की मांग वर्षों से की जा रही है, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। राजिम को जिला बनाने की मांग 38 वर्षों से की जा रही है, यह मांग भी अब तक पूरी नहीं हो पाई है। रामजी साहू ने कहा कि पुन्नी मेला देखने व पर्यटन के लिए यहां आने वाले सैलानियों के लिए धर्मशाला या रहने के लिए कोई अन्य व्यवस्था नहीं है। कई बार बोलने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पथर्रा गांव के कमल वर्मा ने कहा कि पथर्रा से छुरा जाने वाली सड़क की स्थिति वर्षा के दिनों में बहुत बुरी हो जाती है। मार्ग की हालत अनेक वर्षों से खराब है। कई बार मांग करने के बाद भी व्यवस्था नहीं सुधरी है। इससे आगे बोरसी पहुंचने पर युवा जयप्रकाश साहू ने बताया कि ग्राम के नजदीक बासीन में मुख्य मार्ग पर शराब दुकान है। यहां असामाजिक लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। विधायक ने पिछले चुनाव में उसे हटाने का वादा किया था, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया है।
राजिम से नईदुनिया की टीम नगर पंचायत फिंगेश्वर पहुंची। यहां चाय की दुकान में चुनावी चर्चा हो रही थी। चर्चा में शामिल करीम खान ने बताया कि फिंगेश्वर को वर्ष 1952 से उपतहसील का दर्जा मिला है। वर्षों से इसे तहसील बनाने की मांग की जा रही थी। यह मांग अब जाकर पूरी हुई है। ओमप्रकाश बंछोर व रामकृष्ण तिवारी ने बताया कि 18 गांवों की मांग थी कि सूखा नदी में बैराज का निर्माण किया जाए। इसे अभी पूरा किया गया। इसके साथ ही नगर में कन्या हाई स्कूल, बोरसी में हाई स्कूल बनाया गया। नगर में अनेक वर्षों से कृषि महाविद्यालय की मांग की जा रही थी, उसे भी पूरा किया है। कोपरा के शिवम ने बताया कि कोपरा को नगर पंचायत बनाने की मांग वर्षों से की जा रही थी, अभी दर्जा मिला।
कांग्रेस शासनकाल के प्रमुख कार्य
फिंगेश्वर विकासखंड अंतर्गत कोमा और लोहरसी विद्युत सब स्टेशन की स्थापना, क्षेत्र के बांध पीपरछेड़ी, मनियारी, कनेसर व पैरी घुम्मर का निर्माण, जिला अस्पताल गरियाबंद में सीजर आपरेशन और सोनोग्राफी की सुविधा मिल रही है। जिला अस्पताल में छह वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। किडनी पीड़ितों के लिए डायलिसिस की सुविधा है। ब्लड बैंक की स्थापना की जा चुकी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई जैसे क्षेत्रों में किए गए कार्य यहां दिखते हैं।
कई क्षेत्रों में अब तक नहीं पड़े विधायक के पांव
पूर्व विधायक संतोष उपाध्याय ने कहा कि राजिम को जिला बनाने की मांग 33 वर्षों से हो रही है। विधायक लगातार इसकी अनदेखी कर रहे हैं। विधानसभा के अनेक क्षेत्रों में उनके पैर भी नहीं पड़े हैं। स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में कुछ भी नहीं किया गया। इस साढ़े चार वर्षों में विधायक कभी नजर नहीं आते हैं। क्षेत्र में न रह कर वे रायपुर में रहते हैं। इस कारण उन्हे जनता से कोई सरोकार नहीं है। मैंने जो काम करवाया था, उनसे आज भी लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
लोगों से जुड़ी है भावनाएं, उनकी इच्छा अनुसार कराया विकास
विधायक अमितेश शुक्ल ने कहा कि विधानसभा के लोगों से उनकी भावनाएं जुड़ी हैं। मांग के अनुरूप कार्य कराये गए हैं। अपने कार्यकाल में मैंने राजिम माघी पुन्नी मेला को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया। सिंचाई, स्वास्थ्य के लिए इन साढ़े चार वर्षों में बेहतर करने की कोशिश की गई है। फिंगेश्वर सन 1952 से उपतहसील था, इसे मेरे कार्यकाल में तहसील का दर्जा दिया गया। छुरा को अनुभाग, कोपरा को नगर पंचायत और पाण्डुका को उप तहसील का दर्जा मेरे कार्यकाल में दिया गया। इसके साथ ही सैकड़ों करोड़ों रुपयों के विकास कार्य विधानसभा में कराए गए हैं।