सतीश पांडेय, नईदुनिया, रायपुर: राज्य सरकार द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रण और हरित परिवहन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2022 में शुरू की गई इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सब्सिडी योजना अब खुद सवालों के घेरे में है। इस योजना के तहत अब तक करीब 56,674 ईवी खरीदारों की लगभग 127 करोड़ रुपये की सब्सिडी राशि लंबित है, जिससे हजारों उपभोक्ता परेशान हैं।
नीति के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों पर 10 प्रतिशत या अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने का प्रविधान था। इस घोषणा के बाद राज्य में ई-वाहनों की बिक्री में तेजी देखी गई। खास बात यह है कि 2023 के बाद खरीदे गए वाहनों की सब्सिडी अब तक जारी नहीं की गई है, जबकि इससे पहले की राशि जारी की जा चुकी है।
अब तक केवल करीब 80 करोड़ रुपये की सब्सिडी ही वितरित की गई है। परिवहन विभाग के अनुसार 22 अगस्त 2025 तक की स्थिति में 127.39 करोड़ रुपये की सब्सिडी लंबित है। इस संदर्भ में वित्त विभाग को कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं, लेकिन अब तक अंतिम स्वीकृति नहीं मिली है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वित्त विभाग के साथ बातचीत चल रही है और जल्द ही शेष राशि जारी की जाएगी।
सरकार ने मई 2025 से लग्जरी ई-वाहनों पर सब्सिडी समाप्त कर दी है। अब केवल 10 लाख रुपये तक की कीमत वाले वाहनों को ही सब्सिडी का लाभ मिलेगा और वह भी घटाकर अधिकतम एक लाख रुपये तक कर दी गई है। इसके बावजूद राज्य में ई-वाहनों की बिक्री में गिरावट नहीं आई है।
ई-वाहन खरीददारों का कहना है कि सरकार की इस देरी से उनकी आर्थिक योजना गड़बड़ा गई है। सब्सिडी समय पर न मिलने से ईवी की बढ़ती लोकप्रियता को झटका लग सकता है। अब देखना यह है कि उपभोक्ताओं की इस परेशानी का कब तक निराकरण होता है।
राज्य सरकार की पहली इलेक्ट्रिक वाहन नीति के अनुसार 2027 तक कुल नए पंजीयन का 15 प्रतिशत वाहनों को इलेक्ट्रिक कर लेने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए उत्पादकों और विक्रेताओं को करों में रियायत देने के भी प्रविधान हैं।
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ईवी की लंबित सब्सिडी जारी करने के लिए वित्त विभाग से चर्चा हुई है। जल्द से जल्द राशि मिलने की संभावना है। पिछला सब्सिडी राशि जारी होने में देरी के कारण भुगतान नहीं हो पाया है।
-डी.रविशंकर, अपर परिवहन आयुक्त।